लारेंस बिन्यन

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लारेंस बिन्यन (1901)

रॉबट लारेंस बिन्यन (Robert Laurence Binyon ; 1869 - 1943) अंग्रेज कवि, नाटककार, चित्रकला तथा वास्तुकला विशेषज्ञ था।

परिचय[संपादित करें]

लारेंस बियन का जन्म लैंकेस्टर में हुआ था। सेंट पाल स्कूल तथा ट्रिनिटी कालेज में शिक्षा हुई। 'परसीफ़ोन' नामक कविता पर न्यूडीगेट पुरस्कार (१८९०); १९२९-३० जापान का भ्रमण; १९३३-३४ अमरीका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में कविता पढ़ाने के लिए चार्ल्स इलियट नॉर्टन प्रोफेसर; १९४० में एथेंस विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के बायरन प्रोफेसर।

बिन्यन ने अंग्रेजी चित्रकला तथा जापानी काष्ठकला की सूचन पूर्ण सूची प्रकाशित करके पूर्व और पश्चिम की कला का समन्वय किया। वे चित्रकला के विशेषज्ञ थे। 'पेंटिंग इन दि फ़ार ईस्ट' १९०८ में प्रकाशित किया। कवि के रूप में अनेक गीतकाव्य उनकी ख्याति में सहायक हुए। उनकी कविताएँ 'फ़ॉर दि फालेन' (१९१४), 'दि आइडाल्स' (१९२८) अंग्रेजी साहित्य में विशेष प्रसिद्ध हुईं। वे पद्यनाटक को पुन: रंगमंच पर लाने के समर्थक थे। इस प्रकार के कई नाटक लिखे जिनमें 'एटिला' (१९०७), 'आर्थर' (१९२३), 'दि यंग किंग' (१९२४) आदि हैं।

वे काव्य को वक्तृता का अंग बनाना चाहते थे। वे युद्ध को सभ्यता का विनाशक मानते थे। द्वितीय विश्वयुद्ध से वे इतने दु:खी हुए कि एकाकी जीवन व्यतीत करते हुए महाकवि दाँते की रचना का अनुवाद करना आरंभ किया। उन्होंने कविता में शब्दचयन और ध्वनि पर विशेष ध्यान रखा। वे भाषा को एकता, सौंदर्य और कला का साधन मानते थे। उन्होंने भारत की भावना और विचार को पक्षपात रहित होकर पश्चिमी देशों में पहुँचाया। वे भारत के सच्चे मित्र थे। वे अन्याय और अत्याचार के विरोधी थे, सत्य, सौंदर्य तथा पवित्रता के समर्थक। उनकी कविता वर्ड्स्वर्द तथा आर्नाल्ड से प्रभावित है।