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महेन्द्र कपूर

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महेन्द्र कपूर
जन्म9 जनवरी 1934
मूलस्थानअमृतसर, पंजाब, भारत
निधन27 सितम्बर 2008(2008-09-27) (उम्र 74 वर्ष)
मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत
विधायेंपार्श्वगायक
पेशापार्श्वगायक
सक्रियता वर्ष1956–1999

महेन्द्र कपूर (९ जनवरी १९३४-२७ सितंबर २००८) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध पार्श्वगायक थे। उन्होंने बी आर चोपड़ा की फिल्मों हमराज़, गुमराह, धूल का फूल, वक़्त, धुंध में विशेष रूप से यादगार गाने गाए। संगीतकार रवि ने इनमें से अधिकाश फ़िल्मों में संगीत दिया।

प्राथमिक जीवन

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महेंद्र कपूर का जन्म अमृतसर में हुआ था। पार्श्वगायन में कैरियर बनाने के लिए वे कम उम्र में ही मुंबई आ गए थे। 1953 की फिल्म ‘मदमस्त’ के साहिर लुधियानवी के गीत आप आए तो खयाल-ए-दिल-ए नाशाद आया से उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। २७ सितंबर २००८ को बीमारी से लड़ने के पश्चात उनका देहावसान हो गया।[1]

व्यावसायिक जीवन

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1968 में उपकार के बहुचर्चित गीत मेरे देश की धरती सोना उगले के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पा‌र्श्व गायक का पुरस्कार मिला था। इस महत्वपूर्ण सम्मान के अलावा उन्हें 1963 में गुमराह के गीत चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। बाद में एक बार फिर 1967 में हमराज के नीले गगन के तले के लिए भी उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। उनके जीवन का तीसरा फिल्म फेयर पुरस्कार रोटी कपड़ा और मकान के नहीं नहीं और नहीं के लिए 1974 में मिला। बाद में उन्हें पद्मश्री और महाराष्ट्र सरकार के लता मंगेशकर सम्मान से नवाजा गया।

उन्होंने हिंदी फिल्मों के अलावा दादा कोंडके की मराठी फिल्मों में भी आवाज दी। दादा कोंडके की फिल्मों के अलावा भी उन्होंने कई मराठी फिल्मों में पा‌र्श्व गायन किया। उन्होंने रफी, तलत महमूद, मुकेश, किशोर कुमार तथा हेमंत कुमार जैसे चर्चित गायकों के दौर में सफलता हासिल की। महेंद्र कपूर ने अन्य संगीतकारों के अलावा सी रामचंद्र, ओ पी नैयर और नौशाद के साथ भी काम किया और कई बेहतरीन गीत गाए। उन्होंने लोकप्रिय टीवी धारावाहिक महाभारत का शीर्षक गीत भी गया था।

महेंद्र कपूर के कुछ अतिचर्चित गीतों में नीले गगन के तले (हमराज), चलो एक बार फिर से (गुमराह), किसी पत्थर की मूरत से (हमराज), लाखों हैं यहां दिलवाले (किस्मत), मेरे देश की धरती (उपकार), है प्रीत जहाँ की रीत सदा (पूरब और पश्चिम), फकीरा चल चला चल (फकीरा), अब के बरस तुझे (क्रांति), तेरे प्यार का आसरा (धूल का फूल) शामिल हैं।

निजी जीवन और परिवार

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महेन्द्र कपूर विवाहित थे। उनकी तीन बेटियाँ और एक पुत्र थे। उनके पुत्र रोहन कपूर ने 1980 के दशक में कुछ फिल्मों में अभिनय किया। रोहन की फिल्मों में फासले और लव 86 शामिल हैं।

महेंद्र कपूर का 27 सितंबर 2008 शनिवार शाम को बांद्रा स्थित उनके निवास पर निधन हो गया, शाम 7.30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली.। 74 वर्षीय महेंद्र कपूर पिछले कुछ समय से डायलिसिस पर थे। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार के लिए चुना था तथा 24 अक्टूबर को उन्हें यह पुरस्कार दिया जाने वाला था। उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटियां व एक बेटा है।

पुरस्कार और सम्मान

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  • 1963 - फिल्मफेयर पुरस्कार (पुरुष पार्श्वगायन) - चलो इक बार फ़िर से (ग़ुमराह)
  • 1967 - फिल्मफेयर पुरस्कार (पुरुष पार्श्वगायन) - नीले गगन के तले (हमराज़)
  • 1974 - फिल्मफेयर पुरस्कार (पुरुष पार्श्वगायन) - नहीं नहीं (रोटी कपड़ा और मकान)

सन्दर्भ

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  1. "गायक महेन्द्र कपूर का निधन". मूल से 1 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-09-27.

बाहरी कड़ियाँ

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