ब्रेकीथेरापी

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इस तकनीक मे रेडियोसक्रिय तत्व को ट्यूमर के पास रखकर इलाज किया जाता है। पूर्व मे रेडियोसक्रिय रेडियम का प्रयोग होता था किन्तु वर्तमान समय मे उसके प्रतिकूल प्रभावों को जानकर इस तत्व के प्रयोग को बहुत हद तक कम कर दिया गया है।वर्तमान समय में इरेडियम - १९२ तथा कोबाल्ट-६० का प्रयोग सर्वाधिक होता है।रेडियोसक्रिय तत्वों को इस चिकित्सा विधि मे प्रयोग के दो तकनीक हैं _ प्री लोडिंग तथा आफ्टर लोडिंग। आफ्टर लाोडिंग के भी दो तरीके हैं _ मैनूअल तथा रिमोट।प्रीलोडिंग तथा मेन्यूअल लोडिंग का प्रतिकूल प्रभाव जान अब अधिकांशतः रिमोट आफ्टर लोडिंग द्वारा ही चिकित्सा दी जाती है।प्रीलोडिंग तथा मेन्यूअल लोडिंग का प्रतिकूल प्रभाव जान अब अधिकांशतः रिमोट आफ्टर लोडिंग द्वारा ही चिकित्सा दी जाती है।विकरण मे उपयोग किए जाने वाले तत्वों के सक्रियता के आधार पर भी ब्रैकीथेरापी के कई प्रकार हैं जैसे _ लो डोज रेट, मिडियम डोज रेट,पल्स डोजरेट,हाइ डोजरेट आदि। रुग्न शरीर मे रेडियोसक्रिय तत्वों को स्थापित करने के हिसाब से भी इलाज के कइ तरीके है-इन्ट्राल्यूमिनल,इन्ट्राकैविट्री,इंट्रावेनस,इन्टरस्टिशियल इम्पालान्ट,सरफेस माल्ड टेकनीक। ट्रीटमेंट के आधार पर 2 भागो में बांटा गया है 1. टेम्पररी ट्रीटमेंट 2. परमानेंट ट्रीटमेंट