बेन जॉन्सन

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बेंजामिन जॉन्सन (बेन जॉन्सन ; १५७२ - १६३७) अंग्रेजी के प्रसिद्ध नाटककार, कवि तथा समीक्षक थे। वे अपने काल के अत्यंत प्रतिष्ठित एवं प्रतिनिधि साहित्यकार थे।

जीवन परिचय[संपादित करें]

वे प्रसिद्ध अध्यापक विलियम कैमडेन के प्रिय शिष्य रहे। १५९७ के पूर्व उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय में सहायता करने के अतिरिक्त कई वर्षो तक सैनिक सेवा के लिये फ्लैंडर्स में निवास किया। इसी वर्ष उन्होंने नाट्य लेखन का कार्य प्रारंभ किया। सन् १५६८ ई. में इन्होंने द्वंद्वयुद्ध में एक सहयोगी का वध किया किंतु धर्मोपदेशक होने के कारण मृत्युदंड से बच गए। इसी समय उन्होंने रोमन कैथलिक मत ग्रहण किया जिसे आगे चलकर फिर छोड़ दिया। सन् १६०६ ई. में 'ईस्टवर्ड' नामक व्यंगपूर्ण नाटक लिखने के कारण उन्हें कुछ दिनों के लिये कारावास भोगना पड़ा। १६१६ ई. में महाराजा जेम्स प्रथम ने उनके लिये पेंशन निर्धारित की तथा सन् १६१८ में उन्होंने स्काटलैंड की यात्रा की जहाँ उनकी भेंट ड्रमंड ऑव हाथांडैन से हुई जिन्होंने उनके साथ हुए वार्तालाप को लिपिबद्ध किया। सन् १६२८ में बेन जॉन्सन क्रोनोलाजर ऑव लंदन के पद पर नियुक्त हुए। अपने गंभीर अध्ययन एवं सुदृढ़ व्यक्तित्व के कारण वे सम्मानित हुए तथा अपने युग के सभी प्रमुख साहित्यकारों से या तो उनकी मैत्री थी अथवा विरोध था।

बेन जॉन्सन की सर्वाधिक प्रतिष्ठा उनके सुखांत नाटकों के कारण है। इनमें यथार्थ के निरूपण और व्यंग को मिलाकर प्राचीन शास्त्रीय परिपाटी पर रचना की गई है तथा साथ ही इनमें हृदय की प्रबल चेष्टाओं की गंभीर अभिव्यक्ति हुई है। इनके प्रमुख नाटक 'एव्रीमैन इन हिज ह्युमर' का अभिनय सर्वप्रथम १५९८ में हुआ और तदुपरांत निम्नलिखित सुखांत नाटक क्रम से अभिनीत हुए - 'एव्रीमैन आउट ऑव हिज ह्यूमर', 'सिन्थियाज रिवेल्स' (१६०९), 'दी पोएटैस्टर' (१६०१), 'वालपोल' (१६०६), एपीसिन ऑर दि साइलेंट वुमन' (१६०९), 'दि ऐलकेमिस्ट' (१६१०), 'बार्थालोम्यु फेयर' (१६१४), 'दि डेविल इज ऐन ऐस' (१५१६), 'स्टेपुल ऑव न्यूज' (१६२५), 'दि न्यू इन' (१६२८) 'दि मैग्नेटिक लेडी' (१६३२), टेल ऑव ए टव' (१६३३)। बेन जॉन्सन का अंतिम सुखांत नाटक 'सैड शेफर्ड' जो काव्यात्मक है, अपूर्ण रह गया।

रोमन इतिहास से संबंधित तथा प्राचीन परिपाटी पर लिखे हुए बेन जॉन्सन के दोनों दु:खांत नाटक - 'सेजनस' (१६०३), 'कैटिलाइन' (१६११) - एतिहासिक तथ्यों का सफल निर्वाह करते हैं, किंतु प्रभाव की दृष्टि से वे शेक्सपियर के रोमन नाटकों की अपेक्षा कम सफल सिद्ध हुए।

बेन जॉन्सन ने १६०५ और १६३४ के बीच बहुसंख्यक 'मास्क' लिखे। इनमें अधिकांश राजदरबार के मनोरंजनार्थ लिखे गए थे और इनका अभिनय इनिगो जोन्स की सहायता ये हुआ था। इन मास्कों में 'मास्क ऑव क्वींस' (१६०९) सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए।

बेन जॉन्सन ने लघु आकार की कई सौ कविताओं की भी रचना की जो अपनी परिष्कृत शैली और व्यंग के लिये प्रसिद्ध हैं। उनकी कविताओं के दो संग्रह 'एपिग्राम्स' तथा 'दि फॉरेस्ट' सन् १६१६ में प्रकाशित हुए तथा 'अंडरवुड्स' नामक तीसरा संग्रह, जिसमें अपेक्षाकृत लंबी कविताएँ संकलित है, कवि की मृत्यु के उपरांत, सन् १६४१ में, प्रकाशित हुआ।

गद्यलेखन और आलोचना के क्षेत्र में बेन जॉन्सन की कृतियाँ विशेष महत्व रखती है। उनकी शैली सुस्पष्ट और परिमार्जित है एवं उनके आलोचनात्मक विचारों पर उनके पांडित्य और मौलिक चिंतन की छाप है। उनकी प्रमुख गद्यरचना 'टिंबर ऑर्र डिस्कवरीज' (Timber, or Discoveries made upon men and matter ; १६४० ई.) अनेक छोटे बड़े निबंधों का संग्रह है जिनसे लेखक के समीक्षासिद्धांत का पता लगता है।

बेन जॉन्सन ने न केवल अपने जीवनकाल में सामयिक साहित्य को प्रभावित किया, अपितु उनकी मृत्यु के उपरांत बहुत दिनों तक उनका यश अक्षुण्ण रहा और उनका प्रभाव सक्रिय बना रहा। आज भी उनकी गणना अंग्रेजी के मूर्धन्य नाटककारों और आलोचकों में होती है।