पाप

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पाप या गुनाह मनुष्य द्वारा किये गए उन कार्यों को कहा जाता है, जो किसी भी धर्म में अस्वीकार्य माने जाते हैं। वे सभी कार्य, जो अध्यात्मिक एवं सामाजिक मूल्यों का ह्रास करते हों, या आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करते हों, पाप या गुनाह की श्रेणी में आते हैं। वह व्यक्ति, जो पाप करता है, पापी या गुनहगार कहलाता है। सामान्य भाषा में कहे तो बुरे कार्यों को पाप कहा जाता हैं। यह पांच प्रकार के होते हैं।

  1. हिंसा किसी जीव को मारना,उसे दुख देना हिंसा हैं।
  2. असत्य झूठ बोलना
  3. चोरी किसी वस्तु को बिना आज्ञा ग्रहण करना,चुराना
  4. कुशील व्यभिचार रूप गलत कार्यों को कुशील कहते हैं
  5. परिगृह मूर्च्छा को परिग्रह कहते हैं।

उदाहरणार्थ[संपादित करें]

हत्या ,किसी को व्यर्थ आघात पहुँचाना, आदि पाप है।

किसी के साथ बुरा दुष्कर्म करना या किसी को बुरी नजरो से देखना किसी की वस्तु चुराना आवश्यकता से अधिक वस्तुओ को इक्कठा करना झूठ बोलना भी पाप हैं।