दिवालोक बचत समय

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विश्व का नक़्शा. यूरोप, उत्तर अमेरिका के ज़्यादातर भाग, दक्षिण अमेरिका के कुछ भाग, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और चंद और जगहें दिवालोक बचत समय प्रयोग करती हैं। भूमध्य रेखा के पास के देशों में मौसम के साथ दिन-रात की लम्बाई में अंतर कम होता है इसलिए उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया है। बहुत से अन्य देश यह करा करते थे लेकिन उन्होंने प्रथा छोड़ दी।
हालांकि विश्व के अधिकतर देश दि॰ब॰स॰ प्रथा नहीं चलते, लेकिन उत्तरी गोलार्ध के बहुत से देशों में यह होता है ██ दि॰ब॰स॰ प्रथा जारी ██ दि॰ब॰स॰ प्रथा थी, लेकिन रोकी गई ██ दि॰ब॰स॰ प्रथा कभी नहीं थी

दिवालोक बचत समय (दि॰ब॰स॰) या ग्रीष्मसमय कुछ देशों की उस प्रथा को कहते हैं जहाँ गर्मियों के मौसम में सुबह जल्दी होने वाली रौशनी का लाभ उठाने के लिए ग्रीष्म ऋतु में घड़ियों को आगे कर दिया जाता है। आमतौर पर दि॰ब॰स॰ में हर वर्ष में निर्धारित शुरूआती और अंतिम तिथियाँ तय करके प्रशासनिक आदेश द्वारा घड़ियों को एक घंटा आगे चलाया जाता है। इस से पूरे देश की दिनचर्या लगभग एक घंटे पहले शुरू होती है और एक घंटे पहले ख़त्म होती है, यानि रात को बत्तियाँ इत्यादि एक घंटा कम प्रयोग होती हैं और उर्जा की बचत होती है।[1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Encyclopaedia Britannica Almanac 2009 Archived 2014-09-22 at the वेबैक मशीन, pp. 121, Encyclopaedia Britannica, 2009, ISBN 978-1-59339-839-2, ... Also called summer time, daylight saving time is a system for uniformly advancing clocks, especially in summer, so as to extend daylight hours during conventional waking time. In the Northern Hemisphere, clocks are usually set ahead one hour in late March or in April and are set back one hour in late September or in October ... conserve fuel by reducing the need for artificial light ...