जायकवाड़ी बाँध

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(जायकवाड़ी परियोजना से अनुप्रेषित)
जायकवाड़ी बाँध
Jayakwadi Dam
जायकवाडी धरण
जायकवाड़ी बाँध
जायकवाड़ी बाँध is located in महाराष्ट्र
जायकवाड़ी बाँध
महाराष्ट्र में स्थान
आधिकारिक नामJayakwadi-I D02995
स्थानजायकवाड़ी, औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र, भारत
निर्देशांक19°29′8.7″N 75°22′12″E / 19.485750°N 75.37000°E / 19.485750; 75.37000निर्देशांक: 19°29′8.7″N 75°22′12″E / 19.485750°N 75.37000°E / 19.485750; 75.37000
निर्माण आरम्भ1965
आरम्भ तिथि1976[1]
निर्माण लागत4,700 cr [2]
स्वामित्वमहाराष्ट्र सरकार
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग
घेरावगोदावरी नदी
~ऊँचाई41.30 मी॰ (135 फीट)
लम्बाई9,998 मी॰ (32,802 फीट)
जलाशय
बनाता हैनाथ सागर जलाशय
कुल क्षमता2.909 कि॰मी3 (1.027×1011 घन फुट) (102.74 tmc ft)
जलग्रह क्षेत्र21,750 कि॰मी2 (8,398 वर्ग मील)
सतह क्षेत्रफ़ल350 कि॰मी2 (135 वर्ग मील)
पावर स्टेशन
स्थापित क्षमता12 MW

जायकवाड़ी बाँध (Jayakwadi Dam) भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद ज़िले की पैठण तालुका में जायकवाड़ी गाँवे के समीप गोदावरी नदी पर स्थित एक बाँध है। यह राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से सूखे का प्रकोप रहता था, और कृषि के लिए जल-प्रबन्धन करता है। इसके द्वारा जलविद्युत ऊर्जा का उत्पादन भी होता है। इस बाँध द्वारा एक 55 किमी लम्बा, 27 किमी चौड़ा और 350 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाला जलाशय बना है, जिसे प्रवरा नदी भी जल प्रदान करती है। इस जलाशय को "नाथ सागर" कहा जाता है। बाँध का निर्माण 1965 में आरम्भ हुआ और 1976 में पूर्ण हुआ।[3][4][5]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Jayakwadi-I D02995". अभिगमन तिथि 1 March 2016.
  2. "Jaikwadi Dam and Its Nath Sagar Reservoir". authorstream.com. मूल से 10 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 September 2013.
  3. "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
  4. "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
  5. Hunter, William Wilson, Sir, et al. (1908). Imperial Gazetteer of India, Volume 18, pp 398–409. 1908-1931; Clarendon Press, Oxford