जलविरोधी प्रभाव
जलविरोधी प्रभाव (hydrophobic effect) अध्रुवीय पदार्थों को जल या जलीय घोलों में डालने पर जल से अलग होकर आपस में एकत्रित होने की प्रवृत्ति को कहते हैं। यह वास्तव में जल के अणुओं की प्रक्रिया है, क्योंकि वे ध्रुवीय होते हैं और उनके विपरीत आवेश (चार्ज) वाले ध्रुव एक दूसरे के समीप रहने की चेष्टा में अध्रुवीय पदार्थ को धकेलकर एकत्रित कर देते हैं।[1][2] जलविरोधी प्रभाव ही कारण है कि तेल और जल को मिलाकर छोड़ने पर तेल और पानी अलग हो जाते हैं। जीवविज्ञान में कई प्रभाव इसी जलविरोध से देखे जाते हैं, जिनमें कोशिका झिल्ली का बनना, प्रोटीन अणुओं में मुड़ाव बनना, इत्यादि। इसलिए जलविरोधी प्रभाव जीवन के लिए आवश्यक है।[3][4][5][6]