गीता कपूर

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गीता कपूर

गीता कपूर हिंदी फिल्मों (बॉलीवुड) की एक भारतीय कोरियोग्राफर हैं, और भारतीय वास्तविकता नृत्य प्रतिभा शो डांस इंडिया डांस की एक न्यायाधीश भी हैं। गीता कपूर ने अपने कैरियर की शुरूआत १५ साल की उम्र में प्रसिद्ध बॉलीवुड कोरियोग्राफर फराह खान के साथ काम करके की थी।[1] उन्होंने कई फिल्मों में फराह खान की सहायता की, जिसमें कुछ कुछ होता है, दिल तो पागल है, कभी खुशी कभी गम, मोहब्बतें, कल हो ना हो, मैं हूँ ना, और ओम शांति ओम जैसी बड़ी फिल्में शामिल थी। उसके बाद उन्होंने कई फ़िल्मों में जैसे फिजा (२०००), अशोका (२००१), साथिया (२००२), हे बेबी (२००७), थोडा प्यार थोडा मैजिक (२--८), अलादीन (२००९), तीस मार खान की शीला की जवानी में नृत्य संयोजक किया।[2] २००८ में गीता कपूर ने ज़ी टीवी के रियलिटी शो डांस इंडिया डांस पर अन्य सह-न्यायाधीशों-नृत्यलेखकों टेरेंस लुईस और रेमो डिसूजा के साथ अपना टेलीविज़न पदार्पण किया। जिसमे मिथुन चक्रवर्ती भव्य गुरु थे। उस डांस शो में उन्होंने एक समूह को प्रशिक्षित किया जिसे गीता की गैंग कहा गया था। उसके बाद २००९ में वह डांस इण्डिया डांस के सीजन-२ में भी न्यायाधीश और मेंटोर के रूप में टेरेंस लुईस और रेमो डिसूजा के साथ दिखाई दी। उन्होंने उस शो में १८ प्रतियोगी को बैले, कलाबाजी, मध्य वायु नृत्य, समकालीन, बॉलीवुड और हिप-हॉप जैसे नृत्य के रूपों में प्रशिक्षित किया।[3] उस शो के बाद उन्होंने डीआईडी ​​लिल मास्टर्स, जिसमें उनके संरक्षक फराह खान और संदीप सोपकर न्यायाधीश थे उसे भी पदार्पण किया। उन्होंने कोरियोग्राफर मर्ज़ी पेस्टनजी और राजीव सुरती के साथ डीआईडी ​​डबल्स के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया। और उन्होंने टेरेंस लुईस, रेमो डिसूजा के साथ अत्यधिक प्रशंसित शो डांस इंडिया डांस के तीसरे सत्र का फैसला भी किया। २०१२ में, उन्होंने मर्ज़ी पेस्टनजी के साथ डीआईडी ​​लिल मास्टर्स के दूसरे सीज़न को न्यायाधीश किया। उसके बाद गीता कपूर, फराह खान और मार्जी के साथ डांस के सुपरकिड्स के न्यायाधीश के रूप में देखि गई थी। एक खास बात यह भी है कि इनहोने अभी तक शादी नहीं की

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Kaur, Ravneet (20 March 2009). "Geeta Kapoor makes you dance!". The Times of India.
  2. PLANET BOLLYWOOD Glittering excess rules in Broadway's new 'Bombay Dreams' New York Daily News, 25 April 2004.
  3. Bhirani, Radhika (31 December 2009). "The reality of the small screen". The Times of India.