कंधमाल जिला

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कंधमाल ज़िला
Kandhamal district
କନ୍ଧମାଳ ଜିଲ୍ଲା
मानचित्र जिसमें कंधमाल ज़िला Kandhamal district କନ୍ଧମାଳ ଜିଲ୍ଲା हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी : फूलबाणी
क्षेत्रफल : 8,021 किमी²
जनसंख्या(2011):
 • घनत्व :
7,31,952
 91/किमी²
उपविभागों के नाम: विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
उपविभागों की संख्या: 3
मुख्य भाषा(एँ): ओड़िया


फूलबाणी का जगन्नाथ मंदिर

कंधमाल ज़िला भारत के ओड़िशा राज्य का एक जिला है। कंधमाल जिला प्रकृति का स्वर्ग कहलाता है। यहां स्थित दरिंगबाड़ी को तो ओड़िशा का कश्मीर कहा जाता है। इसका मुख्यालय है फूलबाणी। आराम और सुकून की तलाश में आने वाले पर्यटकों के लिए यहां बहुत कुछ है। यहां का वन्यजीवन, स्वास्थ्यप्रद वातावरण, पहाड़, झरने और रास्ते, सभी कुछ सैलानियों को आकर्षित करते हैं। कंधमाल हस्तशिल्प के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां का दोकरा, टैरा-कॉटा, बांस का काम दूर-दूर तक अपनी पहचान बना चुका है।[1][2][3]

कंधमाल जिले की स्थापना 1994 में हुई थी। उस समय फूलबाणी जिले से कंधमाल और बौध नामक दो जिले बनाए गए थे। कंधमाल समृद्ध सांस्कृति धरोहर का प्रतीक है। मौर्य सम्राट अशोक ने जउगदा के शिलालेख में इस पर्वतीय स्थान के लोगों का उल्लेख किया है और इसे अटविकास कहा है। यहां के घाटों का इलाका जिसे कलिंग कहा जाता है मध्यकाल में यात्रियों के संपर्क में आया था। इस जगह का प्रयोग मध्य भारत तक नमक पहुंचाने के लिए किया जाता था। कुल मिलाकर कहें तो प्रकृति और इतिहास का अनूठा संगम कंधमाल की मुख्य विशेषता है।

मुख्य आकर्षण[संपादित करें]

फूलबाणी[संपादित करें]

फूलबाणी जिला मुख्यालय है। यह प्राकृतिक दृष्टि से एक खूबसूरत स्थान है। चारों ओर से पहाड़ों से घिरे फूलबाणी के तीन ओर पिल्लसलुंकी नदी बहती है। भेटखोल और ब्रह्मिणी-देवी पहाड़ी की चोटी से शहर का अनुपम नजारा देखा जा सकता है। साप्ताहिक बाजार, जगन्नाथ और नारायणी मंदिर यहां के अन्य प्रमुख आकर्षण हैं। मुख्य सड़क की सैर या नदी किनारे टहलना आनंददायक अनुभव है।

पुतुडी जल प्रपात[संपादित करें]

पुलुडी प्रकृति के बीच बसा एक खूबसूरत स्थान है जहां पर सलुंकी नदी 60 फीट की ऊंचाई से गिरती है। घने जंगलों के बीच झरने से गिरते पानी की आवाज रोमांचित कर जाती है। पुतुडी झरना

बलासकुंपा[संपादित करें]

यह स्थान बरला देवी के लिए प्रसिद्ध है जिनके बारे में माना जाता है कि वे संसार की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस क्षेत्र के लोग यहां नियमित रूप से देवी के दर्शन करने के लिए आते रहते हैं। विशेष रूप से दशहरे के अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है। दशहरा पूजा यहां पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पिल्लसुलंकी बांध पिकनिक मनाने के लिए उपयुक्त स्थान है और यह बलासकुंपा से केवल तीन किलोमीटर दूर है। आराम करने और शांति से वक्त गुजारने के लिए यह बिल्कुल सही जगह है। बलासकुंपा फूलबानी से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

विरुपाक्ष मंदिर[संपादित करें]

विरुपाक्ष मंदिर फूलबानी से 60 किलोमीटर दूर चाकपाड़ा में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का शिवलिंग है जो दक्षिण की ओर झुका हुआ है। इसी प्रकार यहां के पेड़ों की प्रकृति भी दक्षिण की ओर झुकने की है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण जब शिवजी द्वारा दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो वह यहां पर रुका था। भगवान शिव ने कहा था कि घर पहुंचने से पहले कहीं पर भी इस शिवलिंग को मत रखना। रास्ते में रावण ने एक वृद्ध व्यक्ति से इसे पकड़ने को कहा पर उन्होंने कमजोरी के कारण इसे जमीन पर रख दिया। तब से वह शिवलिंग यहीं जम गया और लाख कोशिशों के बाद भी हिलाया नहीं जा सका। न ही दक्षिण की ओर उसके झुकाव को ठीक किया जा सका।

मंदिर की दीवारों पर उस प्रसंग के चित्र बने हुए हैं जिसमें रावण शिव से पुन: शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहे हैं और भगवान शिव इंकार कर देते हैं। इन चित्रों के माध्‍यम से वह पूरा प्रसंग जीवंत हो उठता है। इस दृश्य में ब्रह्मा और विष्णु भी दर्शाए गए हैं।

दरिंगबाड़ी[संपादित करें]

समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित दरिंगबाड़ी एक आदर्श ग्रीष्मकालीन रिजॉर्ट है। यहां बिखरी सुंदरता के कारण इसे उड़ीसा का कश्मीर कहा जाता है। यहां पर चीड़ के जंगल, कॉफी के बागान और खूबसूरत घाटियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यह उड़ीसा का एकमात्र ऐसी जगह है जहां सर्दियों में बर्फ गिरती है। दरिंगबाड़ी के मैदानों से पहाड़ी इलाकों तक का सफर रोमांचकारी है। यह पर्वतीय स्थल फूलबानी से 100 किलोमीटर दूर है।

डुंगी[संपादित करें]

डुंगी फूलबानी से 45 किलोमीटर दूर फूलबानी-बरहामपुर रोड पर स्थित है। यह कंधामल जिले का एकमात्र पुरातत्व क्षेत्र है। 11वीं शताब्दी में यहां पर एक बौद्ध विहार था। इसके नष्ट हो जाने के बाद यहां शिव मंदिर का निर्माण किया गया था। इसके निर्माण के दौरान बौद्ध विहार के जो अवशेष मिले थे उन्हें मंदिर परिसर में प्रदर्शित किया गया है। पास ही के क्षेत्र से मिली एक बुद्ध प्रतिमा उड़ीसा राज्य संग्रहालय, भुवनेश्‍वर में रखी गई है।

कलिंग घाटी[संपादित करें]

कलिंग घाटी फूलबानी से 48 किलोमीटर दूर फूलबानी-बरहामपुर रोड पर स्थित है। इस घाटी के पास ही दशमिल्ला नामक स्थान है जहां पर सम्राट अशोक ने कलिंग का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा था और उसके बाद बौद्ध धर्म अपना लिया था। यह घाटी सिल्वीकल्चर गार्डन और आयुर्वेदिक पौधों के लिए जानी जाती है। सिल्वीकल्चर गार्डन में रबड़ और बांस के पेड़ हैं। उद्यान में सदा खुशबू बिखरी रहती है जिससे शरीर व मस्तिष्‍क तरोताजा हो जाते हैं।

मंदसरु कुटी[संपादित करें]

यह स्थान फूलबानी से 100 किलोमीटर दूर है। गांव के बाहरी क्षेत्र में एक चर्च है जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है। चर्च के पास प्राकृतिक रूप से बनी पहाड़ी खाई है जो करीब 200 फीट गहरी है। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां पहाड़ों में गूंजती आवाज रोमांचित करती है।

बेलघर[संपादित करें]

प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर बेलघर हरे-भरे पहाड़ों के दर्शन कराता है। यह स्थान कुटिया खोटा जनजाति का निवास स्थान है। यह जनजाति आज भी खाने इकट्ठा करने और रहने के वही पुराने तरीके अपनाती है। ये लोग बहुत ही दोस्ताना स्वभाव के हैं। समुद्र तल से 2555 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेलघर रोमांचक यात्राओं के शौकीनों के लिए भी बिल्कुल उपयुक्त जगह है। जो लोग जंगल के माहौल को करीब से महसूस करना चाहते हैं वे पास के कोटागढ़ अभयारण्य का रुख कर सकते हैं। बेलघर फूलबानी से 165 किलोमीटर दूर है।

आवागमन[संपादित करें]

वायु मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्‍वर यहां से 211 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग

नजदीकी रेलहेड दक्षिण पूर्वी रेलवे का बरहामपुर रेलवे स्टेशन है जो फूलबानी से 165 किलोमीटर दूर है।

सड़क मार्ग

फूलबान, भुवनेश्‍वर, बरहामपुर और राज्य के अन्य प्रमुख शहरों से नियमित बस सेवा के जरिए जुड़ा हुआ है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Orissa reference: glimpses of Orissa," Sambit Prakash Dash, TechnoCAD Systems, 2001
  2. "The Orissa Gazette," Orissa (India), 1964
  3. "Lonely Planet India," Abigail Blasi et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787011991