एकाग्रता

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ऐकाग्र्य या एकाग्रता (एक+अग्रता) एक वस्तु, निकट और अबाधित ध्यान का उद्देश्य है। योग दर्शन में इसे प्राप्त करने के लिए ध्यान के नियमित अभ्यास और आत्म-अनुशासन पर जोर दिया गया है। तप और ब्रह्मचर्य से अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पाया जाता है। तप से पापों का नाश होता है, इंद्रियों को निर्बल करता है, चित्त को शुद्ध करता है, और इस प्रकार एकाग्रता की प्राप्ति में सहायक होता है।

महत्व[संपादित करें]

जीवन में एकाग्रता का बड़ा महत्व है, यदि कोई इसे अपने जीवन में ढाल ले तो किसी भी असम्भव कार्य को कर सकता हैं. कोलम्बस के सम्बन्ध में कहा जाता हैं कि उसने बीस वर्षों से नयें नयें स्थानो की खोज के लिए स्वयं को केन्द्रित कर लिया था. यही वजह है कि उनकी एकाग्रता ने विश्व के समक्ष नई दुनियां की खोज करने में सक्षम हो पाया. हमारे समाज में कई सफल लोगों के उदाहरण हमारे सामने है जिन्होंने जीवन में एकाग्रता के साथ कार्य करते हुए मुकाम हासिल किया हैं. हमें इसे अपने जीवन का उद्देश्य बना लेना चाहिए, तथा एक आदत के रूप में एकाग्रता को विकसित कर लेना चाहिए.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

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