आरज़ू (1965 फ़िल्म)
आरज़ू | |
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फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | रामानंद सागर |
निर्माता | रामानंद सागर |
संगीतकार | शंकर-जयकिशन[1] |
वितरक | सागर आर्ट र्कोपोरेशन |
प्रदर्शन तिथि |
1965 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
आरज़ू 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। जो कश्मीर में बनाई गई है। जिसमें राजेन्द्र कुमार, साधना एवं फ़िरोज़ ख़ान मुख्य भूमिका में है।
कहानी
[संपादित करें]गोपाल (राजेन्द्र कुमार) स्की चैम्पियन है। उसकी मुलाक़ात उषा (साधना) से जम्मू कश्मीर में छुट्टियाँ बिताने के दौरान होती है। वो वहाँ अपना गलत नाम सरजु का इस्तेमाल करते रहता है। दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। एक दिन उषा उसे बताती है कि उसे अपंग लोग बिलकुल नहीं पसंद, उसके अनुसार अपंग जीवन जीने से अच्छा मर जाना ज्यादा बेहतर है। वो छुट्टियाँ समाप्त होने के बाद उषा से वादा करता है कि वो उसके साथ शादी करेगा और वो वापस दिल्ली चले जाता है। वहाँ उसके माता-पिता और बहन के साथ वो रहता है। एक दिन सड़क हादसे में वो अपनी एक टांग खो बैठता है और उषा की कही बात याद कर परेशान हो जाता है। वो अब उषा की जिंदगी से दूर जाने का फैसला करता है, क्योंकि उसे लगता है कि अपंग होने के कारण उषा अब उसे स्वीकार नहीं करेगी। वो दिल्ली में वापस आ जाता है और किसी को भी उषा के बारे में नहीं बताता है। उषा उसे ढूँढने की काफी कोशिश करती है पर उसका कुछ पता नहीं लगता है। उषा को लगने लगता है कि जरूर सरजू किसी मुसीबत में होगा, इस कारण वो उससे बात नहीं कर पा रहा है।
गोपाल का बहुत करीबी दोस्त, रमेश (फ़िरोज़ ख़ान) को अपने दोस्त की प्रेम कहानी का पता नहीं होता है और वो उषा से शादी करने की सोचते रहता है। उषा उसे कई बार ना कह चुकी होती है, पर उसके पिता की सहमति के बाद वो भी अपने पिता की बात मान लेती है और शादी के लिए हाँ कर देती है। शादी के दिन रमेश और उसके बाद उषा को पता चलता है कि गोपाल और सरजू दो अलग अलग इंसान नहीं है। इसके बाद उन्हें सारी बात पता चलती है।
चरित्र
[संपादित करें]पात्र | कलाकार |
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गोपाल / सरजू | राजेन्द्र कुमार |
उषा | साधना |
रमेश | फ़िरोज़ ख़ान |
मंगू मुमताज़ अली | महमूद |
सरला | नाजिमा |
दीवान किशन किशोर | नज़ीर हुसैन |
गोपाल की माँ | अचला सचदेव |
डाॅक्टर | नाना पालसिकर |
रमेश के पिता | ब्रह्म भारद्वाज |
मुंशी | धूमल |
मेजर कपूर | हरि शिवदासानी |
सरजू पटियाला | जानकीदास मेहरा |
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत हसरत जयपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत शंकर जयकिशन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "ऐ फूलों की रानी" | मोहम्मद रफी | 4:18 |
2. | "ऐ नर्गिस-ए-मस्ताना" | मोहम्मद रफी | 3:58 |
3. | "अजी रूठ कर अब कहाँ जाइएगा" | लता मंगेशकर | 5:04 |
4. | "छलके तेरी आँखो से" | मोहम्मद रफी | 4:15 |
5. | "बेदर्दी बालमा तुझको" | लता मंगेशकर | 4:59 |
6. | "जब इश्क़ कहीं हो जाता है" | मुबारक बेगम, आशा भोंसले | 8:33 |
7. | "अजी हम से बचकर कहाँ जाइएगा" | मोहम्मद रफी | 1:56 |
फ़िल्मफ़ेयर नामांकन
[संपादित करें]प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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रामानंद सागर | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित |
राजेन्द्र कुमार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
रामानंद सागर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार | नामित | |
शंकर-जयकिशन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित | |
हसरत जयपुरी ("अजी रूठ कर अब कहाँ") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "सुनिए लता मंगेशकर के पसंदीदा गाने!". न्यूज़ 18 इंडिया. 28 सितम्बर 2017. मूल से 27 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जनवरी 2019.
बाहरी कड़ियाँ
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