सदस्य:Jahnavichoosy3/प्रयोगपृष्ठ

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 मै लखनऊ के एक मध्य्म श्रेणी मे पली बडी चुलबुली लड्की हूँ। मेरे घर मे चार सदस्य है। मेरे पिता एक सरकारी अधिकारी है और मेरी माता एक कुशल ग्रेह्णी है। मेरी माता एक आम भारतीय नारी की भाँंति परिवार को मुश्किल समय मे जोडे रख्नने वाली है। मेरा शहर की नावाबी तहज़ीब्, चिकनकारी , रेवणी और चाट भारत भर मे प्रसिद्ध है।
  लख्ननऊ के एतिहासिक स्मारक्, संस्कृतिक विशेषताऐ जैसे कि रामलील और रासलीला का म्ंचन , लखनऊ घराने का कथक नृत्य , और गोमती का नौका विहार , एतिहास के पन्नो की रोमांचक कथाएँ लख्ननवी जीवन मे जान भरती है। मेरी माँ एक बुहुत ही सीधी - सादी महिला है। उन्होने बोटनी मे पी च डी की डिग्री अपनी नीजि ज़िन्दगी मे कई त्याग किये और अपने सब कुछ परिवार पर न्यौछावर कर दिया। मेरे पिताजी ने भी पूर्ण जीवन अपनी नौकरी मे संघर्ष किया पर उन्होने हमे कभी भी किसी चीज़ की कमी मह्सूस नही होने दी। घ्रर की सबसे छोटी होने के कारण सबस् लाडली रही हूँ।  
 जब मै बैंगलौर अपनी आगे की पढाई करने के लिये आयी तो मैने अपने अंदर काफी बदलाव मह्सूस किये जैसे कि मै ज़्यादा ज़िम्मेदार हो चुकी हूँ, दुनिया की अच्छी समझ हो चुकी है। मै घ्रर के बाह्रर आने के बाद घर के लोगो की कीमत समझने लगी हूँ। अब लख्ननऊ के बेगम हज़रत मेहल मे सैर करने की जगह मै बैगलौर के लालबाघ मे अपनी शहर की खुशबू ढूढ्ती हूँ। मेरे लिये आत्म सम्मात नैतिक मुल्यो के बुहुत मायने है और मेरे मत पिता की सिखयी हुइ बाते इस नये शहर मे मुझे खोने नही देती है। भला ही शह्रर बद्ला हो कुछ नये पेह्लू जुड गय हो पर कुछ कर दिखाने का जज़बा मुझे बुझने नही देता और एक नया जोश भरता है।