सदस्य:Rikchit

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Rikchit
नाम रिक्छित जिन्दल
जन्मनाम रिक्छित जिन्दल
लिंग पुरुष
जन्म तिथि ०७ अगस्त, १९९७
जन्म स्थान कुन्कुरि, छत्तीसगढ़
निवास स्थान बेंगलुरू
नागरिकता भारतीय
जातियता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा छात्रः
शिक्षा बि.कोम्(होनोर्स्)
विश्वविद्यालय क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बेंगलुरू
उच्च माध्यामिक विद्यालय क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बेंगलुरू
शौक, पसंद, और आस्था
शौक साईक्लिंग, घूमना
धर्म हिन्दू
राजनीती स्वतंत्र
रुचियाँ

क्रिकेट, घूमना, नाटक

सम्पर्क विवरण
ईमेल rikchit.jindal@commerce.christuniversity.in
फेसबुक Rikchit Jindal

मेरा नाम रिक्छित जिन्दल है।

जन्म[संपादित करें]

मेरा जन्म भारत कि राज्धनी छतिसगड़ के जिला जश्पुर के कुन्कुरि नामक शहर मे ७ अगसत १९९७ को हुआ था। कुन्कुरि छत्तीसगढ़, भारत में एक छोटा सा शहर है। यह जशपुर जिले की एक तहसील है। यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कैथोलिक चर्च, जशपुर के रोमन कैथोलिक सूबा में माला का हमारा लेडी के कैथेड्रल है। इस बस्ती के बाहर तीन सड़कों भारत के बिहार, झारखंड और ओडिशा राज्यों पैदा होती हैं। यह एनएच ७८ और एनएच -४३ के चौराहे पर स्थित है। कुन्कुरि जशपुर नगर, पथल्गौन जैसे पड़ोसी शहरों के लिए स्वास्थ्य सेवा का केंद्र है आदि अच्छी चिकित्सा सुविधा नहीं है, जो एक मिशन अस्पताल, "होली क्रॉस अस्पताल," नहीं है।

परिवार[संपादित करें]

मेरे पिता जी का नाम सुशिल जिन्दल और माता जी का नाम प्रीति जिन्दल है। मेरे पिता जी का कपडे का बेपार है।

शिक्षा[संपादित करें]

मैने अपनी १० क्लास तक की स्क्कुली सिक्छा अपने शहर कुन्कुरि के लोयोला अंग्रेजी मध्यम शाला से प्राप्त की और फिर मैं अपनी उच्च सिक्छा प्राप्त करने के लिये बैंगलोर आगया। जहाँ मैंने ११ वीं और १२ वीं की सिक्छा प्राप्त करने के लिये अपना दाखिमला क्राइस्ट पियु कालेज रेसिडेंटीएल नामाक पाठशाला मे ले लिया। और फिर मैने अपने स्नातक अध्ययन के लिये क्राइस्ट यूनिवर्सिटी नामक विश्वविद्यालय मे ले लिया। जब मैं अपने उच्च अध्ययन के लिए बेंगलुरू आया तब घर से पहली बार दुर होने के करण मुझे यहां के नए माहौल में समायोजित करने के लिए बहुत मुश्किल हुई। मगर जैसे जैसे यहाँ मेरे नए दोस्त बनते गए मुझे यहाँ का माहौल पसंद आने लगा और फिर मुझे घर से दूर रहने की आदत हो गयी और फिर मैं सुरुआत से ही अपनी पढाई की और धयान देने लगा। मैंने अपनी मेहनत और लगन से १२ वीं कक्षा में ९१ % प्राप्त किया। और अब में क्राइस्ट विश्वविद्यालय में बीकॉम होनौरस का पाठ्यक्रम कर रहा हु।

शौक[संपादित करें]

मै अपने स्कूल के क्रिकेट टीम का कप्तान था। मेरे कप्तानी के दौरान हमारी टीम ने कई सरे पुरुस्कार जीते है। जिससे हमारा पुरे स्कूल में बहुत नाम हुआ। मै नाटक में भी रूचि रखता हु। मैं अपने स्कूल के नाटक टीम में भी था। मुझे घूमने का बहुत सौख है। मै अलग अलग जगाओ के बारे में जानने में रूचि रखता हु और पूरी दुनिया घूमना चाहता हु। मै खेल में भी रूचि रखता हु। मुझे क्रिकेट और बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद है।

जीवन यात्रा[संपादित करें]

मै जब बैंगलोर आया तो यहाँ का माहोल मुझे बहुत अलग लगा। मैंने ये देखा की यहाँ के लोग अपने काम के प्रति बहुत रूचि रखते है और बहुत ही परिश्रमी होते है। और सबसे जरुरी बात यहाँ की भाषा मुझे असमंजस में दाल बैठी। मै यहाँ के लोगो का चाल स्वाभाव देखते ही रह गया। इनके बात करने के तरीके बहुत ही अलग है। उस वक़्त तो मुझे ऐसा लग रहा था की मई कोई दूसरी दूँकिया में आ गया हु। मगर यहाँ पे जो मेरे नए दोस्त बने उन्होंने मुझे यहाँ के तोर तरीके बहुत ही जल्द सीखा दिया। में उनका अहसान कभी नहीं भूल सकता। मुझे यहाँ आकर कई सारी नाइ चीजों के बारे में जानकारी हुई। और अब्ब मुझे यहाँ बैंगलोर मई रहते हुए ३ साल हो गया है और मैंने लगभग सारा बैंगलोर भी घूम लिया है। मुझे यह जगह बहुत पसंद है। मै अपने भविष्य में भी यही रहना चाहता हु और यही ही व्यापार करना चाहता हु। मुझे यहाँ दोस्तों के रूप में एक नया परिवार मिल गया है। यह मेरे लिए अपने घर से दूर घर के सामान है।

महत्वाकांक्षा[संपादित करें]

मै अपने पिताजी का वयापार बढ़ाना चाहता हु। मेरे पिताजी कपडे के एक छोटे वयापारी है और मै उस कपडे के वयापार को एक कपडे के खरखाने के रूप में बदलना चाहता हु. मै कपडे का एक बहुत ही प्रशिद खरखाना खोलना चाहता हु। मै अपनी मेहनत से सफलता प्राप्त करते हुए अपने पिताजी का नाम रोशन करना चाहत हु। मै अपना कार्तवीय निभाते हुए हमेशा अपने परिवार की रक्षा करना चाहता हु।