सदस्य:P.Divya Reddy

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P.Divya Reddy
नाम पी दिव्या
जन्मनाम दिव्या
लिंग महिला
जन्म तिथि ०५ नवम्बर १९९६
जन्म स्थान खड़गपुर
निवास स्थान बैंगलूरू
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
जातियता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा छात्र
नियोक्ता ---
शिक्षा बीएससी
महाविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
विश्वविद्यालय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
उच्च माध्यामिक विद्यालय सेंट एग्नेस स्कूल
शौक, पसंद, और आस्था
शौक संगीत सुनना, बास्केटबाल
धर्म हिनदू
राजनीती स्वतंत्र
उपनाम ---
चलचित्र तथा प्रस्तुति मनोरंजन के लिएँ (कल हो न हो, वाज़ीर )
पुस्तक ---
रुचियाँ

बास्कट बॉल

फेसबुक दिव्या रेड्डी

मेरे शहर खड़गपुर से क्राइस्ट विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना पड़ा। मेरे जीवन में मेरी मौलिकता और मेरे रहन-सहन में एक महान विपरीत है। मैं एक दक्षिण भारतीय हूं, हालांकि मेरी परवरिश बंगाल में हुई थी। बंगाल में रेहते हुए भी मेरे माता-पिता ने मुझे दक्षिण भारतीयता के भोजन या भाषा कि याद नहीं आने दी| मैं पी दिव्या अपनी पृष्ठभूमि, रुचियों, उपलब्धियों और अपने लक्ष्यों के बारे में बताने के लिए यह संस्मरण लिख रही हूँ।

 मेरी परवरिश: खड़गपुर, जहां मेने अपने जीवन के 18 साल बिताए, कोलकाता शहर से 133 किलोमीटर, दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। खड़गपुर दुनिया में सबसे लंबे रेलवे स्टेशन होने के लिए और दिल्ली के बाद भारत का सबसे अच्छा आईआईटी होने के लिए प्रसिद्ध है। मेरी दैनिक गतिविधियां स्कूल जाना, बास्केटबॉल खेलना, टीवी देखना रहा और रात के समय में मंदिर के दर्शन करना थे। हमारी टीम ने वर्ष 2015 में माध्यमिक शिक्षा के भारतीय प्रमाणपत्र की परिषद द्वारा आयोजित क्षेत्रीय बास्केटबॉल मैच जीत लिया। हमने अंतर-राज्य बास्केटबाल टूर्नामेंट में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।

 मेरी प्रेरणा: मेरे माता पिता मेरे जीवन की यात्रा के दौरान मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा रहे हैं। वे हमेशा मुझे अपने बड़ों का सम्मान करने के लिए, अपने से छोटों से प्यार करने के लिए और गरीबों को अपमानित नही करने के लिए शिक्षित किया है। उन्होंने मुझे, एक व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनाने कि सारी नैतिक मूल्यों से अवग्रथ कराया। मैं और मेरी बहन हमेशा उनकी आंखों का तारा रहे है।

 मेरे लक्ष्य: मेरे माता-पिता को हमेशा अपनी बेटी के रूप में मेरे होने का गर्व हुआ है और उन्होने हमेशा मेरी उपलब्धियों पर मुझे प्रोत्साहित किया है। लेकिन मेरा हमेशा से अपनी कैरियर की स्थापना करना और उन्हें जीवन के सभी खुशी, देने का लक्ष्य रहा है।

मेरा अध्ययन के प्रति दिलचस्पी और जुनून ने मुझे क्राइस्ट विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने में प्रोत्साहित किया।