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१ + २ + ४ + ८ + · · ·

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24263· · एक अनन्त श्रेणी है जिसके व्यंजक उत्तरोतर दो की घात के रूप में हैं। एक गुणोत्तर श्रेणी के रूप में इसका प्रथम पद 1, है और सार्वानुपात 2 है। एक वास्तविक संख्याओं की श्रेणी के रूप में यह अनन्त पर अपसरण करती है, अतः वास्तविक परिदृश्य में इसका संकलन महत्व हीन है। व्यापक अभिप्राय से देखने पर श्रेणी ∞ के अतिरिक्त अन्य मान से भी सम्बंधित है और यह संख्या -1 है।

श्रेणी के आंशिक योग 1 + 2 + 4 + 8 + . . ., 1, 3, 7, 15, ... हैं; चूंकि ये मान श्रेणी की तरह अनन्त पर अपसरण करते हैं। अतः सिसैरा-संकलन और हाबिल-संकलन सहित कोई भी ज्ञात विधि से इसका योग अनन्त ही प्राप्त होता है।[1] दूसरी तरफ अन्य व्यापक रूप से उपयोगी विधि द्वारा जो 1 + 2 + 3 + 4 + . . . का परिमित मान -1 प्ताप्त होता है। सम्बंधित घातिय श्रेणी :

की अभिसरण त्रिज्या 0 से 1/2 के मध्य है, अतः यह x = 1 पर अभिसारी नहीं है।

ये भी देखें

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टिप्पणी

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  1. Hardy p.10

सन्दर्भ

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  • आयलर, लियोनार्ड (1760). "De seriebus divergentibus". Novi Commentarii academiae scientiarum Petropolitanae. 5: 205–237. मूल से 26 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई 2013.
  • गार्डिनर, ए॰ (2002) [1982]. Understanding infinity: the mathematics of infinite processes (Dover संस्करण). Dover. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-486-42538-X.
  • हार्डी, जी॰एच॰ (1949). अपसारी श्रेणी (Divergent Series). Clarendon Press. एल॰एल॰सी॰ QA295 .H29 1967.