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हेलेनिस्टिक कला

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हेलेनिस्टिक युग में बनी नाइके (एक यूनानी देवी) की मूर्ति

हेलेनिस्टिक कला हेलेनिस्टिक काल की कला है। इसे सामान्यतः 323 ई॰पू॰ में सिकंदर महान की मृत्यु के साथ शुरू माना जाता है और रोमनों द्वारा यूनानी दुनिया पर विजय के साथ समाप्त माना जाता है। यह प्राचीन यूनानी कला के काल का अनुसरण करता है जबकि परवर्ती यूनानी-रोमन कला काफी हद तक हेलेनिस्टिक प्रवृत्तियों में दिखाई देती है।

हेलेनिस्टिक शब्द का तात्पर्य सिकंदर की मृत्यु के बाद यूनानी प्रभाव के विस्तार और उसके विचारों के प्रसार से है जो दुनिया के लिए हेलेनीकरण था।[1] इतिहास लेखन में हेलेनिस्टिक कला को प्राचीन यूनान के स्वर्ण युग के अनुरूप एक पतनशील शैली के रूप में चित्रित करने की प्रवृत्ति रही है।

वास्तुकला

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वास्तुकला के क्षेत्र में हेक्टर के बाद के राजवंशों ने विशाल शहरी योजनाएं और बड़े परिसरों का निर्माण किया जो पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक नगर-राज्यों से लगभग गायब हो चुके थे।[2] लोगों द्वारा डोरिक मंदिर का त्याग कर दिया गया।[3] नगर नियोजन यूनानी दुनिया के लिए काफी नवीन था इसमें गलतियों को सुधार कर उसमें हेर-फेर करने के बजाय भवन निर्माण की योजना प्राकृतिक परिवेश के अनुरूप बनाई गई।

मनोरंजन और आराम के अनेक स्थानों का उदय हुआ जिसमे विशेष रूप से रंगमंच और उद्यानों की संख्या में वृद्धि हुई। इस संबंध में हेलेनिस्टिक राजतंत्रों को लाभ प्राप्त था क्योंकि उनके पास अक्सर विशाल स्थान होते थे जहां वे बड़े शहर बना सकते थे।

सन्दर्भ

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  1. Burn, Lucilla (2005). Hellenistic art: from Alexander the Great to Augustus. Los Angeles: J. Paul Getty Museum. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-89236-776-4.
  2. विंटर, फ्रेडेरिक ई॰ (2006). Studies in Hellenistic architecture. Toronto [Ontario] Buffalo [New York]: यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरोंटो प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0802039149.
  3. एंडरसन, विलियम; स्पियर्स, रिचर्ड फेने; डिंसमूर, विलियम बेल; एंडरसन, विलियम (1927). The architecture of ancient Greece: an account of its historic development (Nachdr. d. Ausg. संस्करण). लंदन: बैट्सफ़ोर्ड. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0404147259.