हिन्दी कम्प्यूटिंग का इतिहास

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सबसे पहले हिन्दी टाइप वर्डस्‍टार (वर्जन III प्लस) जैसे एक शब्द संसाधक ‘अक्षर’ में आया। फिर विंडोज़ आया और पेजमेकरवेंचुरा का समय आया। इस सारी यात्रा में कम्प्‍यूटर केवल प्रिंटिंग की दुनिया की सहायता भर कर रहा था। यूनिकोड के आगमन एवं प्रसार के पश्चात हिन्दी कम्प्यूटिंग प्रिंटिंग तक सीमित न रहकर संगणन के विभिन्न पहलुओं तक पहुँच गयी। अब भाषायी संगणन के सभी क्षेत्रों में हिन्दी अपनी पहुँच बना रही है। हिन्दी कम्प्यूटिंग को वर्तमान स्थिति तक पहुँचाने में सरकार, अनेक संस्थाओं, समूहों एवं प्रोग्रामरों-डैवलपरों का योगदान रहा।

हिन्दी कम्प्यूटिंग के प्रमुख पड़ाव[संपादित करें]

  • १९८३: डॉस आधारित हिन्दी शब्द संसाधक अक्षर, शब्दरत्न इत्यादि का पदार्पण।
  • १९८३: सी-डैक द्वारा जिस्ट (GIST - Graphics and Intelligence based Script Technology) का विकास।
* भारतीय लिपियों के लिये इस्की मानक जारी।
  • १९८६: भारतीय भाषाओं के लिये इनस्क्रिप्ट कुंजीपटल मानक स्वीकृत।
  • एऍलपी (एप्रॅक्स लैंग्वेज़ प्रोसैसर) - भारत सरकार के संस्थान सी-डैक का डॉस-आधारित स्वतंत्र बहुभाषी हिन्दी शब्द संसाधक ; लगभग उतना ही शक्तिशाली और सुविधा-संपन्न जितना कि उस समय वर्डस्टार नामक अंग्रेज़ी सॉफ्टवेयर था।
  • १९९१: यूनिकोड का आविर्भाव। अक्टूबर १९९१ में यूनिकोड का पहला संस्करण १.०.० जारी जिसमें नौ भारतीय लिपियाँ देवनागरी, बंगाली, गुजराती, गुरुमुखी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम तथा ओड़िया शामिल की गयी।[1]
  • विंडोज़ १.० (१९८५) तथा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के पहले संस्करण (१९९०) के बाद १९९३ में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस प्रोफैशनल के आने के बाद ८-बिट हिन्दी फॉण्टों से विंडोज़ में हिन्दी में वर्ड प्रोसैसिंग सम्भव।
  • आइऍसऍम ऑफिस (इसकी मदद से मौजूदा सॉफ्टवेयर पैकेज में भारतीय भाषा में काम किया जा सकता है)
  • लीप ऑफिस २००० (सम्पूर्ण भारतीय भाषी सॉफ्टवेयर)
  • १९९५ के आसपास इंटरनेट पर हिन्दी का पदार्पण – रोमन व इमेज फ़ाइलों के रूप में तथा बाद में डायनैमिक फॉण्टों के जरिये।
  • सीडैक लीप ऑफिस, श्रीलिपि तथा अक्षर फॉर विंडोज़ आदि वर्डप्रोसैसरों का आगमन।
  • १४ सितंबर १९९६: हिन्दी दिवस के अवसर पर तत्कालीन रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने पीसी-डॉस के हिन्दी संस्करण का विमोचन किया जिसमें एक हिन्दी प्रोग्रामिंग भाषा भी शामिल थी।
  • २०००: हिन्दी समाचार पत्र इंटरनेट की ओर, यूनिकोड हिन्दी का पदार्पण। इंटरनेटी हिन्दी में क्रान्ति की शुरूआत। सीडैक के हिन्दी ऑपरेटिंग सिस्टम इंडिक्स की शुरूआत।
  • विंडोज़ २००० और माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के दक्षिण एशियाई संस्करण में हिन्दी समर्थन प्रदान किया गया।
  • २००० बालेन्दु शर्मा दाधीच द्वारा विकसित हिंदी शब्द संसाधक 'माध्यम' निःशुल्क वितरण एवं प्रयोग के लिए जारी।
  • २००२: लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम और अन्य प्रोग्रामों के हिन्दीकरण की शुरुआत।
  • २००३: हिन्दी (भारतीय बहुभाषायी) लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम मिलन जारी। हिन्दी वर्तनी जाँच सुविधा युक्त माइक्रोसॉफ्ट का ऑफिस सुइट हिन्दी में जारी। इसी वर्ष ओपनऑफिस का हिन्दी इंटरफेस युक्त संस्करण १.१ भी जारी।
  • २००३: श्रीलिपि, अक्षर नवीन के यूनिकोड संस्करण जारी। अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर टैली में हिन्दी समर्थन। हिन्दी के शब्दकोश, प्रोग्रामिंग औजार उपलब्ध।
  • २००३: इंटरनेट/डैस्कटॉप सर्च हिन्दी में उपलब्ध। हिन्दी ब्लॉगों का पदार्पण, जीमेल के जरिये हिन्दी में ईमेल की सुविधा।
  • २००४: रैड हैट ने पाँच भारतीय भाषाओं हेतु मुक्त स्रोत लोहित फॉण्ट जारी किये जिनका आगे जाकर अनेक लिनक्स वितरणों में प्रयोग हुआ।
  • २००५: माइक्रोसॉफ्ट ऍक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम का खास हिन्दी का स्टार्टर संस्करण जारी। तमाम लिनक्स वितरणों रैडहैट, उबुंटू के हिन्दी संस्करण जारी।
  • २००६: माइकोसॉफ्ट, ऍमऍसऍन और याहू हिन्दी में जारी।
  • जनवरी २००७: विंडोज़ विस्ता जारी, पहला विंडोज़ संस्करण जिसमें हिन्दी समर्थन अन्तर्निमित था। बाइ डिफॉल्ट समर्थन लागू रहता था, अलग से कोई सैटिंग नहीं करनी पड़ती, बस टाइपिंग हेतु कीबोर्ड जोड़ना पड़ता था।
  • मार्च २००७: गूगल समाचार सेवा हिन्दी में शुरु।[3]
  • मार्च २००७: गूगल की ब्लॉगिंग सेवा ब्लॉगर में हिन्दी ट्राँस्लिट्रेशन टूल जारी।[4][5] तत्कालीन समय में यह काफी लोकप्रिय हुआ तथा इसके माध्यम से कई लोगों ने हिन्दी में ब्लॉग लिखने शुरु किये।
  • मार्च २००७: गूगल डॉक्स में हिन्दी वर्तनी जाँच (स्पैल चैकिंग) उपलब्ध।[6]
  • मार्च २००७: माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2007 का हिन्दी संस्करण जारी।[7]
  • जुलाई २००७: हिन्दी का श्रुतलेखन सॉफ्टवेयर (स्पीच टू टेक्स्ट) सी-डैक द्वारा विमोचित।
  • अगस्त २००७: गूगल ने भारतीय भाषाओं सम्बन्धी विकास कार्यों को गति देने के लिये गूगल इण्डिया लैब्स नामक प्लेटफॉर्म शुरु किया।[8]
  • अगस्त २००७: गूगल ट्राँसलिट्रेशन, गूगल का डिक्शनरी आधारित ऑनलाइन फोनेटिक टाइपिंग औजार जारी।[9] पहली बार जारी होने पर इसका नाम Google Indic Transliteration था, कालान्तर में इसमें विश्व की कई और भाषायें शामिल करके इसका नाम Google Transliteration किया गया। वर्तमान में इसका नाम Google Input Tools Online है।
  • अक्टूबर २००७: गूगल ट्राँसलिट्रेशन तकनीक से गूगल सर्च में रोमन शब्द टाइप करने पर हिन्दी में सजैशन।[10] गूगल की सोशल नेटवर्किंस सेवा ऑर्कुट में भी हिन्दी ट्राँस्लिट्रेशन टूल शामिल।
  • २००७: इंटरनेट पर चीनी और अंग्रेजी भाषा के बाद हिन्दी सर्वाधिक लोकप्रिय तथा प्रयोग की जाने वाली भाषा।
  • जून २००८: मोजिला फायरफॉक्स ३.० जारी हुआ जिसमें पूर्ण हिन्दी प्रदर्शन समर्थन उपलब्ध हुआ। इससे पहले MozTextAlignFix नामक ग्रीजमंकी यूजर स्क्रिप्ट के जरिये फायरफॉक्स में हिन्दी सही रूप में प्रदर्शित हो पाती थी।
  • मई २००९: गूगल ने हिन्दी, कन्नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगू के लिये ट्राँस्लिट्रेशन बुकमार्कलेट जारी किये।[13]
  • १७ जून २००९: आइओऍस (तत्कालीन नाम आइफोन ओऍस) संस्करण ३ में आंशिक हिन्दी प्रदर्शन समर्थन आया।
  • ३१ अगस्त २००९: हिन्दी विकिपीडिया पर ४० हजार लेख पूरे हुए।
  • ३० अक्टूबर २००९: आइकैन (ICANN) ने सियोल में देवनागरी सहित चीनी, कोरियाई एवं हिब्रू लिपियों को यूआरएल में प्रयोग करने की अनुमति दे दी।
  • नवम्बर २००९: भारतीय लिपियों के मध्य लिप्यन्तरण (ट्राँस्लिट्रेशन) की सुविधा हेतु गूगल स्क्रिप्ट कन्वर्टर लैब प्रोजैक्ट के तौर पर शुरु किया गया। इसका पूर्ण लॉंच अप्रैल २०१० में हुआ।
  • नवम्बर २००९: माइक्रोसॉफ्ट ने हिन्दी के लिये ट्राँस्लिट्रेशन आधारित Indic Input Tool जारी किया जो कि गूगल के टूल की तरह डिक्शनरी आधारित था। यह वेब सेवा तथा डैस्कटॉप सॉफ्टवेयर दोनों संस्करणों में उपलब्ध हुआ।[14] पहला पब्लिक डेमो २५ नवम्बर को दिया गया।[15]
  • दिसम्बर २००९: गूगल ने अपनी हिन्दी ट्राँस्लिट्रेशन (इनपुट) सेवा का डैस्कटॉप संस्करण Google IME नाम से जारी किया।[16] कालान्तर में इसका नाम बदलकर Google Hindi Input आदि से होता हुआ वर्तमान में Google Input Tools है। यह टूल टंकण की सरलता तथा उन्नत डिक्शनरी आधारित ट्राँस्लिट्रेशन के कारण इंटरनेट पर हिन्दी प्रयोक्ताओं में खासा लोकप्रिय हुआ।
  • अप्रैल २०१०: २९ अप्रैल को गूगल स्क्रिप्ट कन्वर्टर की आधिकारिक घोषणा हुयी।[17] इससे पहले इस पर लैब प्रोजैक्ट के तौर पर विकास कार्य चल रहा था। इसने भारतीय लिपियों के मध्य लिप्यन्तरण (ट्राँस्लिट्रेशन) की सुविधा उपलब्ध करवायी। जुलाई २०११ में गूगल ने यह सेवा बन्द कर दी।
  • ३ मई २०१०: टचस्क्रीन डिवाइसों पर हिन्दी टंकण हेतु टचनागरी नामक ऑनलाइन हिन्दी कीबोर्ड जारी।[18]
  • २१ जून २०१०: आइओऍस ४ में पूर्ण हिन्दी प्रदर्शन समर्थन आाया।
  • अक्टूबर २०१०: भारतीय रुपया चिह्न यूनिकोड ६.० में शामिल किया गया।
  • २०१० की तीसरी तिमाही में ब्लैकबेरी ओऍस संस्करण ६ में हिन्दी प्रदर्शन समर्थन एवं हिन्दी वर्चुअल कीबोर्ड आया।
  • २०११: गूगल बुक्स हिन्दी में उपलब्ध। अरविन्द कुमार का हिन्दी-अंग्रेजी-हिन्दी समान्तर कोश अरविन्द-लैक्सिकन ऑनलाइन जारी।
  • अप्रैल २०११: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ने हिन्दी शब्दावलियाँ आनलाइन की।
  • ६ जून २०११: आइओऍस ५ में हिन्दी कीबोर्ड आया।
  • ११ जून २०११: इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड लेआउट द्वारा चाणक्य, कृतिदेव आदि जैसे नॉन-यूनिकोड फॉण्टों में टाइप करने हेतु पहला इनपुट मैथड ऍडीटर ई-पण्डित आइऍमई जारी।[19]
  • जून २०११: गूगल ट्राँसलेट में पाँच भारतीय भाषाओं बंगाली, गुजराती, कन्नड़, तमिल तथा तेलुगू शामिल।[20]
  • ३० अगस्त २०११: हिन्दी विकिपीडिया पर एक लाख लेख से ऊपर हुये।
  • १४ सितम्बर २०११: ट्विटर हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में जारी।[21]
  • अक्टूबर २०११: ऍण्ड्रॉइड ४.० (आइस क्रीम सैंडविच) में काफी हद तक हिन्दी, तमिल तथा बंगाली समर्थन आया। लोहित देवनागरी हिन्दी फॉण्ट शामिल किया गया। स्टॉक ऍण्ड्रॉइड ब्राउजर में हिन्दी, तमिल एवं बंगाली का पूर्ण समर्थन।
  • अक्टूबर २०११: सर्वाधिक शुद्ध मुक्त स्रोत ओसीआर इंजर टैसरैक्ट में हिन्दी भाषा (ओसीआर) शामिल।
  • मार्च २०१२: कोरल ड्रॉ X6 जारी हुआ जिसमें काफी हद तक हिन्दी समर्थन आ गया। मंगल फॉण्ट में टैक्स्ट ठीक प्रदर्शित होता था, हालाँकि बहुत से हिन्दी फॉण्ट प्रदर्शित नहीं होते थे।
  • मई २०१२: अडॉबी CS6 (क्रियेटिव सुइट) जारी हुआ जिसमें हिन्दी समर्थन उपलब्ध हुआ जिससे फोटोशॉप, इलस्ट्रेटर, इनडिजाइन आदि में यूनिकोड हिन्दी फॉण्टों में कार्य करना सम्भव हो गया।
  • मई २०१२: गार्मिन ने हिन्दी भाषा सक्षम नेवीगेशन डिवाइस जारी किये।[22]
  • मई २०१२: फायरफॉक्स का मोबाइल ब्राउजर हिन्दी में जारी।
  • जून २०१२: गूगल ने ऍण्ड्रॉइड के संस्करण ४.१ (जैली बीन) में हिन्दी, कन्नड़, तेलुगू तथा मलयालम कीबोर्ड शामिल किया।
  • अक्तूबर २०१२: विण्डोज़ फोन संस्करण ८ जारी हुआ जिसमें हिन्दी कीबोर्ड सहित पूर्ण हिन्दी समर्थन आया।[23] हालाँकि शुरुआत में ट्राँसलिट्रेशन और अकारादि क्रम का ही कीबोर्ड उपलब्ध था, मानक इन्स्क्रिप्ट लेआउट नहीं।
  • दिसम्बर २०१२: ऍण्ड्रॉइड की सर्वाधिक लोकप्रिय कीबोर्ड ऍप्लिकेशन SwiftKey में हिन्दी शामिल।[24]
  • फरवरी २०१३: गूगल ने ऍण्ड्रॉइड के लिये Google Hindi Input नामक ट्राँसलिट्रेशन आधारित हिन्दी कीबोर्ड ऍप जारी की।[25] अकारादि क्रम का कीबोर्ड एवं ट्राँसलिट्रेशन सुविधा शामिल। इस ऍप का नाम २०१६ में बदलकर Google Indic Keyboard कर दिया गया।
  • मार्च २०१३: गूगल ने फीचर फोनों में जीमेल में हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषायें उपलब्ध करवायी।
  • मार्च २०१३: लोकप्रिय ऍण्ड्रॉइड कीबोर्ड ऍप्लिकेशन स्वाइप (Swype) में पूर्ण हिन्दी समर्थन आया।
  • जुलाई २०१३: ऍण्ड्रॉइड ४.३ (जैली बीन) में हिन्दी भाषा के लिये सिस्टम वाइड सपोर्ट आया।
  • अक्तूबर २०१३: जीमेल तथा गूगल ड्राइव में हिन्दी हैंडराइटिंग सपोर्ट आया।[26]
  • जनवरी २०१४: विण्डोज़ फोन पर व्हॉट्सऍप में हिन्दी समर्थन उपलब्ध हुआ।[27]
  • मार्च २०१४: कोरल ड्रॉ X7 जारी हुआ जिसमें पूर्ण हिन्दी समर्थन उपलब्ध हुआ।
  • जून २०१४: गूगल की ऍण्ड्रॉइड ऍप गूगल ट्राँसलेट संस्करण 3.0.6 में हिन्दी वॉयस रिकॉग्नीशन सुविधा आयी।[28]
  • जुलाई २०१४: गूगल मैप्स हिन्दी में देखने की सुविधा आरम्भ हुई।
  • अगस्त-सितम्बर २०१४: बोलकर हिन्दी टाइप करने की सुविधा।
  • सितम्बर २०१४: ऍपल के आइओऍस ८ में सिस्टमवाइड हिन्दी इंटरफेस आया।[29] इससे पहले केवल तिथि तथा समय आदि का प्रारूप देवनागरी में रखे जा सकते थे।
  • नवम्बर २०१४: गूगल ने iOS की Google Maps ऍप में हिन्दी में वॉयस-सर्च सुविधा प्रदान की।
  • नवम्बर २०१४: गूगल द्वारा हिन्दी वॉयस-सर्च (बोलकर खोजने की सुविधा) आरम्भ।
  • नवम्बर २०१४: गूगल की Hindi Input ऍप में Hinglish, वॉइस इनपुट तथा हैंडराइटिंग इनपुट सुविधा शामिल।
  • नवम्बर २०१४: गूगल द्वारा इंडियन लैंग्वेज इंटरनेट अलायंस (ILIA) लॉन्च।
  • दिसम्बर २०१४: स्‍पाइस ने लॉन्‍च किया पहला देशी (हिन्दी) स्‍मार्टफोन 'ड्रीम उनो एच' (Dream Uno H Android One Hindi smartphone)
  • दिसम्बर २०१४: गूगल द्वारा हिन्दी विज्ञापन शुरु।
  • अप्रैल २०१५: गूगल ने Google Handwriting Input नामक ऍप्लिकेशन जारी की जिसके द्वारा स्क्रीन पर हैंडराइटिंग द्वारा हिन्दी में टंकण सुविधा मिली।[30]
  • मई २०१५: गूगल डॉक्स की ओसीआर सुविधा में हिन्दी भाषा शामिल।[31]
  • सितम्बर २०१५: गूगल डॉक्स की वेबसाइट पर वॉइस इनपुट सुविधा जारी जिसमें हिन्दी भी शामिल।[32] फिलहाल यह सुविधा केवल क्रोम ब्राउजर में।
  • अक्तूबर २०१५: प्रसिद्ध पिटीशन वेबसाइट change.org हिन्दी में जारी।[33]
  • दिसम्बर २०१५: सरकार ने भारत में बिकने वाले सभी स्मार्टफोनों में भारतीय भाषा सपोर्ट को अनिवार्य करने की योजना बनायी।[34]
  • अप्रैल २०१६: फेसबुक ने अपनी ऍण्ड्रॉइड ऍप्लिकेशन में ट्राँसलिट्रेशन आधारित हिन्दी टंकण सुविधा प्रदान की।
  • जुलाई २०१६: लोकप्रिय ऍण्ड्रॉइड कीबोर्ड ऍप्लिकेशन स्विफ्टकी के संस्करण ५.३ में देवनागरी लिपि आधारित संस्कृत, कोंकणी सहित अन्य ९ भारतीय भाषायें शामिल।[35]
  • नवम्बर २०१६: लोकप्रिय ऍण्ड्रॉइड कीबोर्ड ऍप्लिकेशन SwiftKey ने हिन्दी तथा गुजराती के लिये ट्राँसलिट्रेशन सुविधा जारी की।
  • दिसम्बर २०१६: अमेजन ने अपने ईबुक्स प्लेटफॉर्म किंडल के लिये हजारों हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषायी पुस्तकें उपलब्ध की। अमेजन ने भारत के लिये स्थानीय किंडल स्टोर २०१२ में उपलब्ध कर दिया था पर तब उसमें केवल अंग्रेजी पुस्तकें थी। हालाँकि कुछ हिन्दी पुस्तकें किंडल पर विदेशी भाषा अनुभाग में २०१५ से उपलब्ध थी पर अब आधिकारिक रूप से हिन्दी भाषा का अनुभाग बना दिया गया।
  • मई २०१७: मुक्त स्रोत डैस्कटॉप पब्लिशिंग सॉफ्टवेयर स्क्राइबस में हिन्दी (देवनागरी) समर्थन आया।[36]

हिन्दी कम्प्यूटिंग आरम्भिक उन्नायक[संपादित करें]

  • विनय छजलानी ने 1993 में सुवि इंफ़ोर्मेशन सिस्टम नामक कम्पनी की स्थापना की जो कि बाद में वेबदुनिया नाम से प्रसिद्ध हुई। इस कम्पनी के काम की प्रशंसा माइक्रोसॉफ़्ट ने भी की और इनके साथ सहयोग करने की पेशकश की।
  • हेमन्त कुमार ने तख्ती[1] नामक लोकप्रिय और आसान फ़ोनेटिक यूनिकोड देवनागरी लेखन औजार बनाया जो विंडोज़ ९८ के जमाने में आइऍमई जैसे औजारों के प्रचलन से पूर्व काफी प्रयोग किया गया।
  • वासु श्रीनिवास ने जनवरी 1998 में बरह नामक सॉफ़्टवेयर बनाया जिसकी मदद से हिन्दी सहित कई भारतीय भाषाओं में फोनेटिक विधि से टाइप किया जा सकता है। बाद में इसी का एक संस्करण बरह आइऍमई नाम से आया जो कि गूगल आइऍमई के आने से पहले सबसे लोकप्रिय फोनेटिक टाइपिंग टूल था।
  • बालेन्दु शर्मा दाधीच ने 1999 में 'माध्यम' नामक इनस्क्रिप्ट हिंदी वर्ड प्रोसेसर का विकास कर उसे 2000 में निःशुल्क वितरण और प्रयोग के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध कराया।
  • देवेन्द्र पारख ने हिन्दीराइटर नाम का अनुप्रयोग बनाया जो हिन्दी यूनिकोड में टाइप करने के साथ-साथ हिन्दी वर्तनी जाँच तथा ऑटोकम्पलीशन सुविधा भी प्रदान करता है। संस्करण १.४ के बाद विकास बन्द होने से इसका प्रयोग बाद में घट गया।
  • प्रो॰ रघुनाथ कृष्ण जोशी ने विंडोज़ का डिफॉल्ट हिन्दी फॉण्ट मंगल तथा रघु नामक यूनिकोड फॉण्ट बनाये। इसके अतिरिक्त उन्होंने सभी भारतीय लिपियों का अध्ययन करके उन्होंने देशनागरी नामक लिपि विकसित की।
  • माइक्रोसॉफ्ट ने वेबदुनिया के साथ मिलकर इण्डिक आइऍमई नामक भारतीय भाषाई आइऍमई बनाया जिसकी सहायता से विभिन्न कीबोर्ड लेआउट में भारतीय भाषायें टाइप की जा सकती हैं। यह रेमिंगटन लेआउट द्वारा यूनिकोड हिन्दी टंकण हेतु पहला औजार था।
  • अभिषेक चौधरी और डॉ॰ श्वेता चौधरी ने “हिन्दवी” नामक एक सिस्टम बनाया जिसने हिन्दी का प्रयोग करते हुए बेसिक, लोगो, सी, सी++ और डॉस जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं में प्रोग्रमिंग किया जाना सम्भव बनाया।
  • हिंदी में यूनिकोड के प्रचार-प्रसार, शोध और जागरूकता के उद्देश्य से लोकलाइजेशनलैब्स.कॉम नामक परियोजना बालेन्दु शर्मा दाधीच के मार्गदर्शन में 2006 में शुरू हुई। हिंदी में यूनिकोड विषयक मुद्दों पर गंभीर विवेचना और उसकी तकनीकी गुत्थियों को आम लोगों की भाषा में अभिव्यक्त करने की यह पहली बड़ी निजी कोशिश थी।
  • इण्डिक कम्प्यूटिंग के विशेषज्ञ हरिराम पंसारी ने हिन्दी कोर कम्प्यूटिंग को आसान बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान किया। वे सी-डैक से भी सम्बन्धित रहे हैं।
  • हिंदी के प्रारंभिक पोर्टलों में से एक प्रभासाक्षी.कॉम का बालेन्दु शर्मा दाधीच के संपादन में सन 2000 में विकास हुआ। वेबदुनिया के अतिरिक्त यह एकमात्र हिंदी पोर्टल था जो किसी समाचार पत्र समूह से संबद्ध नहीं था और पूरी तरह ऑनलाइन माध्यमों पर समाचारों तथा हिंदी सामग्री के प्रसारण के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • आलोक कुमार ने यूनिकोड देवनागरी सम्बन्धी समस्याओं के हल के लिए “देवनागरी.नेट” नामक वेबसाइट बनाई। इन्होंने लिप्यन्तरण औज़ार गिरगिट का बेहतर इण्टरफेस प्रस्तुत किया और लिनक्स गाइड के हिन्दी अनुवादों को आरम्भ किया।
  • कुलप्रीत सिंह ने “शून्य.इन” नामक हिन्दी तकनीकी समाचार वेबसाइट आरम्भ की। इसके अतिरिक्त ये चिट्ठाजगत.इन की टीम में शामिल हैं।
  • राघवन एवं सुरेखा ने इण्डिक आइऍमई नामक जावास्क्रिप्ट आधारित औजार बनाया। इससे दूसरे कई औज़ार बनाने में सहायता मिली।
  • रमण कौल ने यूनिनागरी नामक ऑनलाइन टाइपिंग औजार बनाया जिसमें हिन्दी के इन्स्क्रिप्ट तथा रेमिंगटन कीबोर्ड उपलब्ध कराए।
  • रवि रतलामी ने लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के हिन्दीकरण में विशिष्ट योगदान दिया। इसके अतिरिक्त फ़ायरफ़ॉक्स के लिए हिन्दी वर्तनी जाँचने हेतु एक प्लग-इन हेतु शब्दकोश निर्माण में योगदान दिया। ये काफी पहले से हिन्दी इनपुट तथा अन्य सम्बन्धित औजारों सम्बन्धी लेख लिखते रहे हैं तथा विभिन्न स्थानीकरण परियोजनाओं से जुड़े हैं।
  • श्रीश बेंजवाल शर्मा ने हिन्दी टाइपिंग एवं कम्प्यूटिंग सम्बन्धी अनेक लेख एवं ट्यूटोरियल अपने ब्लॉग, सर्वज्ञ विकि तथा हिन्दी विकिपीडिया पर लिखे। अक्षरग्राम नेटवर्क के सदस्य के रूप में सर्वज्ञ विकि पर प्रबन्धक रहे। इन्होंने "ई-पण्डित" नामक हिन्दी का प्रथम तकनीकी ब्लॉग बनाया। हिन्दी चिट्ठाकारी के आरम्भिक दिनों में इन्होंने अनेक लोगों को यूनिकोड हिन्दी लेखन, ब्लॉग विधा तथा हिन्दी कम्प्यूटिंग सम्बन्धी कार्यों में प्रशिक्षित किया। इन्होंने मोबाइल फोन आदि टचस्क्रीन डिवाइसों में हिन्दी टंकण हेतु टचनागरी नामक टूल बनाया। इन्होंने ई-पण्डित आइऍमई नामक टूल भी बनाया जो कि लिगेसी फॉण्टों में इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड लेआउट से टाइप करने के लिये पहला आइऍमई था।
  • पूर्णिमा वर्मन ने साहित्यिक वेब पत्रिकाओं "अनुभूति" और "अभिव्यक्ति" का निर्माण एवं संचालन किया। इन्होंने हिन्दी विकिपीडिया के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
  • आलोक कुमार हिन्दी के पहले चिट्ठाकार हैं। इन्होंने ९-२-११ (नौ-दो-ग्यारह) नामक हिन्दी का पहला ब्लॉग बनाया। "ब्लॉग" के लिये "चिट्ठा" शब्द इन्होंने ही प्रतिपादित किया।
  • विनय जैन ने यूनिकोड हिन्दी में पहली ब्लॉग पोस्ट लिखी। इसके अलावा इन्होंने "हाइट्राँस" नामक आइट्राँस से देवनागरी लिप्यन्तरण औजार बनाया।
  • देबाशीष ने पहले हिन्दी ब्लॉग ऍग्रीगेटर चिट्ठा विश्व का निर्माण किया। इसके अलावा इन्होंने पॉडभारती (हिन्दी पॉडकास्ट सेवा) तथा निरन्तर/सामयिकी पत्रिका की शुरुआत की। इन्होंने “चिट्ठाकार समूह” भी बनाया तथा इण्डीब्लॉगीज पुरस्कारों की शुरुआत की।
  • पंकज नरूला ने नारद नामक ब्लॉग ऍग्रीगेटर बनाया जो विभिन्न ब्लॉग्स पर आई नवीनतम जानकारी को इकठ्ठा कर एक जगह उपलब्ध कराता था। बाद में इसका संवर्धन जीतेन्द्र चौधरी ने किया। पंकज बेंगाणी और संजय बेंगाणी ने इस ब्लॉग ऍग्रीगेटर के रूप-रंग को बेहतर बनाने में योगदान दिया।
  • संजय बेंगाणी और पंकज बेंगाणी ने अक्षरग्राम नेटवर्क की विभिन्न वेबसाइटों में ग्राफिक्स सम्बन्धी कार्य किया तथा तरकश.कॉम नामक हिन्दी का पहला उन्नत वेब २.० शैली का पोर्टल बनाया।
  • प्रतीक पाण्डे ने "हिन्दीब्लॉग्स.कॉम" नामक हिन्दी ब्लॉग ऍग्रीगेटर बनाया। यह जावा में बना था।
  • देबाशीष और रमण कौल जी ने "हिन्दीब्लॉग्स.ऑर्ग" नामक हिन्दी की ब्लॉग डायरैक्ट्री बनाई। रविरतलामी तथा श्रीश बेंजवाल ने इसके हिन्दीकरण में योगदान दिया।
  • हर्षित वाणी वनागार्जुन वेन्ना ने पद्मा प्लगइन और पद्मा यूनिकोड गेटवे बनाया जो हिन्दी (तथा अन्य भारतीय भाषाओं) के पुराने फ़ॉण्ट में बनी वेबसाइटों को ब्राउज़र में ही यूनिकोडित रूप में दिखाता है।
  • जी॰ करूणाकर ने लिनक्स का पहला यूनिकोडित भारतीय भाषाई बहुभाषी लाइव संस्करण “रंगोली” बनाया।
  • मितुल पटेल ने हिन्दी विकिपीडिया के आरम्भिक दौर में इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसमें पूर्णिमा वर्मन तथा अनुनाद सिंह की भी सक्रिय भूमिका रही।
  • नारायण प्रसाद तथा अनुनाद सिंह ने तकनीकी हिन्दी समूह आरम्भ किया तथा ब्राउज़र आधारित दर्जनों फॉण्ट परिवर्तक बनाए। समूह के सदस्य श्रीश बेंजवाल ने भी कन्वर्टर एवं अन्य औजार बनाये।
  • आलोक कुमार तथा श्रीश बेंजवाल ने पेंचकस नामक हिन्दी भाषी प्रोग्रामरों तथा डेवलपरों का समूह प्रारम्भ किया।
  • जगदीप दांगी ने एक गैर-यूनिकोडित हिन्दी ब्राउज़र, अनुवादक तथा फॉण्ट कन्वर्टर आदि हिन्दी के लिये औजारों का निर्माण किया।
  • ईस्वामी ने "हग" (हिन्दी यूनिकोड जेनरेटर) नामक ऑनलाइन फोनेटिक हिन्दी टाइपिंग औज़ार बनाया। इसके कोड का उपयोग बाद में कई अन्य औजारों में किया गया।
  • हिमांशु सिंह ने हिन्दी टूलकिट नामक औजार बनाया जो कि बिना विंडोज़ की सीडी के विण्डोज २००० तथा ऍक्सपी में हिन्दी समर्थन सक्षम करता था। "हग" की सहायता से हिमांशु सिंह ने "हिन्दी-तूलिका" नामक औज़ार भी बनाया जो कि एक प्रॉक्सी सर्वर के जरिये किसी भी वेबपेज पर हिन्दी लिखता था। बाद में श्रीश बेंजवाल ने हिन्दी टूलकिट के कंसैप्ट से प्रेरित इण्डिक ऍक्सपी नामक टूल बनाया जो कि विंडोज़ ऍक्सपी में एक क्लिक द्वारा इण्डिक समर्थन इंस्टाल करने की सुविधा देता है।
  • रजनीश मंगला ने हिन्दी फॉण्ट कन्वर्टर औजार बनाए।
  • राजेश रंजन ने मोज़िला फायरफ़ॉक्स तथा ओपन ऑफिस का हिन्दी अनुवाद किया।
  • ललित कुमार ने विकि आधारित हिन्दी कविताकोश और गद्यकोश का निर्माण किया। अनिल जनविजय, प्रतिष्ठा शर्मा, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, द्विजेन्द्र “द्विज”, प्रकाश बादल तथा श्रद्धा जैन ने कविता कोश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • मैथिली गुप्त ने कम्प्यूटर और इण्टरनेट पर हिन्दी के विकास के लिये कई महत्वपूर्ण काम किए:
  • इन्होंने कृतिदेव नामक लोकप्रिय नॉन-यूनिकोड फॉण्ट बनाया।
  • इन्होंने हिन्दीपैड बनाया जो रोमनाइज़्ड तरीके से हिन्दी (नॉन-यूनिकोड, कृतिदेव फॉण्ट में) टाइप करने के लिये पहला औज़ार था।
  • ब्लॉगवाणी नामक ब्लॉग ऍग्रीगेटर वेबसाइट बनाया।
  • इन्होंने “कैफ़ेहिन्दी टाइपिंग टूल” नामक औज़ार का निर्माण किया जिसकी सहायता से लोग रोमनाइज़्ड, सुशा और कृतिदेव शैली में यूनिकोडित हिन्दी टाइप कर सकते हैं
  • इन्होंने “इण्डिनेटर” नामक फॉण्ट परिवर्तक का निर्माण किया
  • इसके बाद इन्होंने “इण्डिनेटर स्क्रिप्ट कन्वर्टर” नामक औज़ार बनाया जो हिन्दी लिपि को अन्य भारतीय भाषाओं की लिपियों में बदलता है।
  • बालेन्दु शर्मा दाधीच की ओर से विकसित निःशुल्क मानक हिंदी यूनिकोड इनस्क्रिप्ट टाइपिंग सॉफ्टवेयर 'स्पर्श' का अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, 2001 के दौरान लंदन में लोकार्पण हुआ।
  • गोरा मोहंती ने लिनक्स तन्त्र में हिन्दी वर्तनी, छंटाई इत्यादि के लिए महत्वपूर्ण काम किए।
  • आलोक कुमार तथा डॉ॰ विपुल जैन ने चिट्ठाजगत.इन नामक बहु-सुविधा युक्त ब्लॉग ऍग्रीगेटर बनाया। इसमें उन्होनें अन्य भारतीय लिपियों में हिन्दी सामग्री को ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा भी प्रदान की।
  • सचिन जोशी ने हिन्दी का मुफ़्त व मुक्त वाक पहचान प्रोग्राम बनाया।
  • जीतेन्द्र शाह ने इण्डिकट्राँस तथा जनभारती के जरिए हिन्दी/मराठी के लिए बहुत से प्रोग्रामों, फ़ॉण्टों तथा ऑनलाइन औज़ारों को उपलब्ध करवाया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

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इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]