हिततरंगिणी

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इस काव्य की रचना कृपाराम में 1598 विक्रम संवत में किया था । भरतमुनि के नाटक शास्त्र तथा भानुदत्त की रसमंजरी पर आधारित यह काव्य दोहा शैली में लिखा गया है ।

ऐतिहासिक दृष्टि से यह काव्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंदी काव्यशास्त्र का पहला मौलिक उपलब्ध और प्रामाणिक ग्रंथ है ‌।

इस काव्य का विषय विवेचन व्यवस्थित सुबोध एवं सरस है ।इस काव्य का मुख्य विषय श्रृंगार के आलंबन नायक-नायिका- भेद विवेचन है।