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हार्प

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पैडल हार्प
चोगा मिश ईरान के हार्प दुनिया के सबसे पुराने (3300-3100 ई.पू.) तंतुवाद्य माने जाते हैं[1]

हार्प (अंग्रेज़ी: Harp) एक तंतुवाद्य है, जिसकी पतली तार की डोरियाँ गर्दन के पीछे खूंटियों से जुड़ी होती हैं और निचले सिरे पर पेट में लगी छेदयुक्त लकड़ी की पट्टिका से जुड़ी होती हैं।[2] इसे उंगलियों से बजाया जाता है। इसका आकार और त्रिकोण होता है, जिसे खड़े होकर या बैठकर बजाया जा सकता है। लकड़ी से बने त्रिकोण आकार के हार्प सर्वाधिक प्रचलित हैं। कुछ हार्प में तारों की कई पंक्तियाँ पैडल से जुड़े होते हैं। इसे संगीत समारोहों और ऑर्केस्ट्रा में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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एशिया, अफ्रीका और यूरोप में हार्प का उपयोग प्राचीन काल से होता आया है, जिसकी शुरुआत कम से कम 3000 ईसा पूर्व मानी जाती है। पुनर्जागरण के दौरान यह यूरोप में सबसे लोकप्रिय वाद्य यंत्र के रूप में प्रयोग की जाती थी। इस दौरान यह विभिन्न तकनीकी प्रयोग से निर्मित होकर नये स्वरूपों में प्रचलित हुई। हार्प को लैटिन अमेरिका में विशेष लोकप्रियता मिली। दक्षिण और पूर्वी भाग में हार्प का अस्तित्व प्रायः विलुप्त होता गया, म्यांमार और अफ्रीका के कुछ प्रांतों में आज भी पारंपरिक रूप में बजाये जाते हैं। यूरोप और एशिया विभिन्न भागों में आज भी हार्प का प्रयोग इसके प्राचीन स्वरूप में किया जाता है

ऐतिहासिक रूप से, हार्प के तार पशु कण्डरा (सिन्यू) से बनाए जाते थे।[3] इसकी बनावट में पशुओं के आंत, पौधों के रेशे, लट, भांग, कपास की रस्सी, तार, नायलॉन, आदि सामग्रियों का उपयोग किया जाता था। समय के साथ तकनीकी विकास और संसाधनों की उपलब्धता ने इन सामग्रियों में विविधता लाई। इन सामग्रियों का चयन न केवल हार्प की ध्वनि गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि यह उसकी संगीत शैली को भी विशिष्ट बनाता है, जिससे इसके स्वरूप को नई पहचान मिली।

  1. "हार्प". ईरानिका ज्ञानकोश
  2. "धनुषाकार या त्रिभुजाकार हार्प". एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, संगीत वाद्ययंत्र संग्रहालय एडिनबर्ग. तार की डोरियाँ गर्दन में पार्श्व खूंटियों से जुड़ी होती हैं और निचले सिरे पर पेट में लगी छिद्रित लकड़ी की पट्टिका से जुड़ी होती हैं।
  3. लॉएरग्रेन, बौ। (12 दिसम्बर 2003)। "वीणा". ईरानिका विश्वकोश Archived 2011-08-15 at the वेबैक मशीन