हाइपरप्लासिया

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-plasia
Anaplasia – dedifferentiation
Hyperplasia – physiological proliferation
Neoplasia – abnormal proliferation
Dysplasia – maturation abnormality
Metaplasia – cell type conversion
Desmoplasia – connective tissue growth
हाइपरप्लासिया
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
एमईएसएच D006965

हाइपरप्लासिया या अतिवर्धन (या "अतिजननता") एक सामान्य शब्द है जो किसी अंग या ऊतक के भीतर कोशिकाओं की वृद्धि को संदर्भित करता है जिसके परे इसे सामान्य रूप से देखा जाता है। हाइपरप्लासिया (अतिविकसन) के परिणामस्वरूप किसी अंग की अति वृद्धि हो सकती है एवं इस शब्द को कभी-कभी सुसाध्य नीओप्लासिया/सुसाध्य ट्यूमर (अर्बुद) के साथ मिश्रित किया जाता है।

हाइपरप्लासिया उद्दीपन के प्रति एक सामान्य पूर्व-नीओप्लास्टिक प्रतिक्रिया है। सूक्ष्मदर्शी रूप से कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं के समान होती हैं लेकिन वे संख्याओं में बढ़ी हुई होती हैं। कभी-कभी कोशिकाएं आकार में भी बढ़ी हुई (हाइपरट्रॉफिया-अतिवृद्धि) हो सकती हैं।[1] हाइपरप्लासिया, अतिवृद्धि से इस अर्थ में भिन्न होती है कि अतिवृद्धि में अनुकूल कोशिका परिवर्तन के रूप में कोशिका के आकार में परिवर्तन होता है, जबकि हाइपरप्लासिया में कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है।

हाइपरप्लासिया तथा हाइपरट्रॉफी के बीच अंतर को दिखाने के लिए एक सरल उदाहरण.

नीओप्लासिया से अंतर[संपादित करें]

हाइपरप्लासिया को एक विशिष्ट उद्दीपन के प्रति एक (सामान्य) शारीरिक प्रतिक्रया माना जाता है, एवं एक अतिविकसित वृद्धि वाली कोशिकाएं सामान्य नियामक नियंत्रण प्रणाली के अधीन बनी रहती हैं। यह नीओप्लासिया (कैंसर एवं सुसाध्य ट्यूमर उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया) के विपरीत होती है, जिसमें आनुवांशिक रूप से असामान्य कोशिकाएं गैर-शारीरिक रूप से प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होती हैं और सामान्य उद्यीपन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं दर्शाती हैं।[2]

जैसा कि नीचे के उदाहरणों में देखा जा सकता है, कोशिकाओं का ऐसा शारीरिक बहुजनन वास्तव में गौण रूप से रोगात्मक कारक का परिणाम हो सकता है। फिर भी, नीओप्लासिया के विपरीत, बहुजनन अपने आप में किसी अन्य असामान्य स्थिति के प्रति एक सामान्य प्रतिक्रिया है, जबकि बहुजनन अपने आप में असामान्य होता है।

कारण[संपादित करें]

हाइपरप्लासिया कई कारणों से हो सकता है जिनमे शामिल हैं, बढ़ी हुई मांग (उदाहरण के लिए, त्वचा की हानि की क्षतिपूर्ति करने के लिए बाह्य त्वचा के आधारिक परत का बहुजनन), क्रोनिक प्रदाहक प्रतिक्रया, हार्मोन संबंधी अस्वाभाविक क्रियाएं या कहीं भी होने वाले नुकसान या बीमारी की क्षतिपूर्ति. हाइपरप्लासिया हानिरहित हो सकती है और एक विशेष ऊतक में दिखाई दे सकती है। सामान्य हाइपरप्लासिया संबंधी प्रतिक्रिया का एक उदाहरण स्तन में गर्भावस्था के कारण दुग्ध-स्रावित करने वाली ग्रंथिमय कोशिकाओं में वृद्धि एवं प्रजनन द्वारा भविष्य में स्तनपान के लिए तैयार करना होता है।

आई जी एफ-1 (IGF-1) जैसे हार्मोनों एवं मानव विकास हार्मोन का इंजेक्शन देकर भी हाइपरप्लासिया को कृत्रिम रूप से प्रेरित किया जा सकता है। मानव शरीर की कोशिकाओं पर आई जी एफ-1 (IGF-1) का शायद सबसे दिलचस्प और शक्तिशाली प्रभाव हाइपरप्लासिया उतपन्न करने की इसकी क्षमता है, जो कोशिकाओं का एक वास्तविक विभाजन है।[मूल शोध?] इसके विपरीत, अतिवृद्धि, उदाहरण के लिए, भार प्रशिक्षण एवं स्टेरॉयड के उपयोग के दौरान कंकाल मांसपेशी कोशिकाओं में एवं केवल कोशिकाओं के आकार में उत्पन्न होने वाली वृद्धि है। आई जी एफ-1 (IGF-1) के उपयोग द्वारा आप हाइपरप्लासिया उत्पन्न सकते हैं जो वास्तव में मांसपेशियों के ऊतकों में मौजूद कोशिकाओं की संख्या में होने वाली वृद्धि है। एनाबोलिक (उपचय संबंधी) स्टेरॉयड के उपयोग के साथ या उसके बिना भार प्रशिक्षण द्वारा इन नई कोशिकाओं को आकार एवं शक्ति में परिपक्व किया जा सकता है। इसके अलावा, पशु परीक्षणों से पता चला है कि एक मांसपेशी को खींचने से हाइपरप्लासिया शुरू हो सकता है, हालांकि मानव में इस घटना की अभी तक पुष्टि नहीं की जा सकी है। हाइपरप्लासिया एथलेटिक प्रदर्शन के लिए विशेष शक्ति उत्पादन प्रशिक्षण के माध्यम से भी प्रेरित हो सकता है, इस प्रकार यह एक एकल फाइबर के आकार में वृद्धि करने के बजाय मांशपेशी फाइबरों में वृद्धि करता है।[3]

हाइपरप्लासिया असामान्य रूप से भी उत्पन्न हो सकता है एवं यह विभिन्न रोग-विषयक बीमारियों से संबंधित होता है।

मानव जीव विज्ञान और रोग संबंधी उदाहरण[संपादित करें]

हाइपरप्लासिया के कुछ सामान्य नैदानिक रूप या, हाइपरप्लासिया उत्पन्न करने वाली स्थितियां इस प्रकार हैं:

  • कुशिंग रोग - एसीटीएच (अधिवृक्कप्रांतस्था प्रेरक हार्मोन) के बढ़े हुए परिसंचरण स्तर के कारण हाइपरप्लासिया का शरीर रोग विज्ञान.
  • जन्मजात अधिवृक्क हाइपरप्लासिया
  • अन्तर्गर्भाशयकला संबंधी हाइपरप्लासिया - आम तौर पर बहुपुटीय अंडाशय संलक्षण की स्थापन या हार्मोनों के बहिर्जात प्रयोग में निर्विरोध एस्ट्रोजन उद्दीपन के प्रतिक्रियास्वरूप. असामान्य अन्तर्गर्भाशयकला संबंधी हाइपरप्लासिया एक आरंभिक अन्तर्गर्भाशयकला संबंधी नवोत्पादित प्रक्रिया को व्यक्त कर सकती है जो अन्तर्गर्भाशयकला संबंधी ग्रंथि कैसर उत्पन्न कर सकती है।
  • सुसाध्य पुर:स्‍थ (प्रोस्टेट ग्रंथि में बनने वाला) हाइपरप्लासिया, जिसे प्रोस्टेट वृद्धि के रूप में भी जाना जाता है।
  • स्तन का हाइपरप्लासिया - स्तन के "हाइपरप्लासिया" संबंधी घावों में शामिल हैं सामान्य नलीपरक हाइपरप्लासिया, एक अन्तकारी (टर्मिनल) स्तन में कोशिकाओं की संख्या का विकारस्थानिक विस्तार एवं असामान्य नलीपरक हाइपरप्लासिया जिसमें वृद्धि का एक असामान्य स्वरूप देखा जाता है एवं जो स्तन के कैंसर विकसित होने के बढ़ते हुए जोखिम से जुड़ा हुआ होता है। इन घावों का जीव विज्ञान विवाद का विषय है, जिसमें कुछ प्राधिकारी यह बहस करते हैं कि ये दोनों घाव नीओप्लासिया (नवाबुर्द) के परिणाम हैं एवं यह कि इस सन्दर्भ में "हाइपरप्लासिया" का प्रयोग "गलत" है।[4]
  • अंत:कला हाइपरप्लासिया - पुनर्संरचना प्रक्रिया की जटिलता या धमनीअंत:स्तर उच्छेदन के कारण एक रक्त वाहिनी के अंत:कला झिल्ली (आवरण) का मोटा होना. अंत:कला हाइपरप्लासिया एक नलिका का चोट के प्रति एक सार्वभौमिक प्रतिक्रया एवं विलंबित निरोपण, विशेष रूप से शिरा एवं कृत्रिम वाहिकीय निरोपणों में, विफलता का एक महत्वपूर्ण कारण है।
  • विकारस्थानिक उपकला संबंधी हाइपरप्लासिया (जिसे हेक का रोग भी कहा जाता है) - यह मुख के श्‍लेष्‍म ऊतकों या कदाचित गले में मस्से के समान वृद्धि है जो मानव पैपिलोमा वायरस (एच पी वी) के कुछ उप-प्रकारों द्वारा उत्पन्न होता है। बिल्ली रोग (हेक के रोग) को कैंसर का कारण नहीं माना गया है।
  • वसामय हाइपरप्लासिया - इस स्थिति में त्वचा पर (आमतौर से चहरे पर) छोटा पीला सुजन विकसित होता है। यह स्थिति न तो संक्रामक है और न ही खतरनाक.
  • प्रतिपूरक यकृत हाइपरप्लासिया - गंभीर चोट के बाद यकृत का कोशिका विभाजन होता है, जिसके परिणामस्वरूप नई कोशिकाओं का निर्माण होता है जो यकृत के कार्य को सामान्य स्थिति में लौटाती हैं। यकृत के लगभग 75% भाग के गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाने या कट जाने के बाद भी यकृत कोशिका विभाजन अर्थात हाइपरप्लासिया के माध्यम से उसका पूर्ण पुनरुत्पादन हो सकता है। यही जीवित-दाता द्वारा यकृत प्रत्यारोपण का आधार है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. M. Donald McGavin, James F. Zachary (2007). Pathologic Basis of Veterinary Disease, Fourth Edition. Mosby Elsevier.
  2. Ramzi Cotran, Vinay Kumar, Tucker Collins (1999). Robbins Pathologic Basis of Disease, Sixth Edition. W.B. Saunders. OCLC 222671811. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7216-7335-X.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  3. Antonio J, Gonyea WJ (1994). "Muscle fiber splitting in stretch-enlarged avian muscle". Med Sci Sports Exerc. 26 (8): 973–977. PMID 7968431. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  4. Tavassoli FA (2005). "Breast pathology: rationale for adopting the ductal intraepithelial neoplasia (DIN) classification". Nature Clinical Practice. Oncology. 2 (3): 116–117. PMID 16264885. डीओआइ:10.1038/ncponc0109.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]