हवाई तुल्य ज्वालामुखी

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ज्वालामुखी के उद्गार की प्रकृति के आधार प्रकार:-

हवाई तुल्य
यह नामकरण हवाई द्वीप के ज्वालामुखी के आधार पर रखा गया है। इसमे लावा तरल होने से इनमे उद्गार शांत ढंक से होता है और विखंडित पदार्थ की मात्र भी नगण्य होती है।
स्ट्राम्बोली तुल्य
इसमे लावा अपेक्षाकृत गाढ़ा होने से उद्गार हवाई तुल्य की अपेक्षा अधिक तीव्रता से होता है। लावा के अतिरिक्त विखंडित पदार्थ भी ऊँचाई तक जाते है। स्ट्राम्बोली तुल्य यह नामकरण सिसली द्वीप के उत्तर में स्थित लिपारी द्वीप के स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी के आधार पर रखा गया है।
वलकैनो तुल्य
इस प्रकार के उद्गार वाले ज्वालामुखी मे लावा चिपचिपा और लसदार होने से ज्वालामुख पर गैसोँ के निकास में अवरोध उत्पन्न होता है और इससे भयंकर विस्फोट होता है। इस प्रकार के ज्वालामुखियोँ का नामकरण लिपारी द्वीप के प्रसिध्द ज्वालामुखी वलकैनो के नाम पर किया गया है। इस प्रकार के उद्भेदन में प्रत्येक अगला उद्गार पिछले उद्गार से निर्मित लावा की जमी हुई परत को उड़ा कर होता है।
पीलियन तुल्य
ये ज्वालामुखी सबसे विनाशकारी हैँ और इससे ज्वालामुखी का मुख आंशिक या पूर्णतः नष्ट हो जाता है।
विसूवियन तुल्य
ये ज्वालामुखी वलकेनियन के ही समान होते है। अंतर केवल इतना है कि गैसोँ की तीव्रता के कारण इस प्रकार के उद्भेंदनोँ में लावा बहुत अधिक ऊँचाई तक पहुँच जाता हैं।