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हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख

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एक हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख,[1] हिप्पारकोस सूचीपत्र और आजुबाजु के 1,000 सितारों की ग्लाइस सूचीपत्र से लिए गए 22,000 तारों को आलेखित किए हुए। सितारे आरेख के केवल कुछेक क्षेत्रो में गिरते हुए प्रवृत्त हैं। इसमे सबसे विशिष्ठ इसका विकर्ण है जिसे मुख्य अनुक्रम कहा गया है जो ऊपरी बाएँ (गर्म व चमकदार) से लेकर निचले दाएँ (ठंडा व मंद) तक जा रहा है। सफेद वामन निचले बाएँ में पाए गए है, वहीं उपदानव, दानव और महादानव मुख्य अनुक्रम के ऊपर हैं। सूर्य दिप्तता 1 (निरपेक्ष कांतिमान 4.8) और B-V रंग सूचक 0.66 (तापमान 5780K, वर्णक्रमीय प्रकार G2V) के साथ मुख्य अनुक्रम पर पाया गया है।

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख (Hertzsprung–Russell diagram (HRD)), तारों का एक बिखराव ग्राफ है जो तारों के निरपेक्ष कांतिमान या दिप्तता के विरुद्ध उनके वर्णक्रमीय प्रकार या वर्गीकरण और प्रभावी तापमानों के बीच संबंधों को दर्शाता है। हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख तारों के स्थानों के चित्र या नक्शे नहीं हैं। बल्कि, वह प्रत्येक तारे को तारे के तापमान व रंग के विरुद्ध उसके निरपेक्ष कांतिमान या चमक को मापकर एक ग्राफ पर अंकित करता है।

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख संक्षिप्त रूप H-R डायग्राम या एचआरडी से भी निर्दिष्ट है। यह आरेख इंजर हर्ट्जस्प्रंग और हेनरी नोरिस रसेल द्वारा 1910 के आसपास बनाया गया और यह तारकीय विकास या "सितारों के जीवन" की समझ की दिशा में एक बड़े कदम को प्रस्तुत करता है।


M67 और NGC 188, दो खुले तारागुच्छों के HR डायग्राम, मुख्य अनुक्रम को विभिन्न कालों में जुदा होते हुए दिखाते हुए।

सन्दर्भ

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  1. Richard Powell Archived 2010-12-31 at the वेबैक मशीन with permission.