हरिनारायण

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हरिनारायण नाम के दो हिन्दी कवि हुए हैं - एक हरिनारायण मिश्र और दूसरे हरिनारायण

  • (१) हरिनारायण बेरी (जिला मथुरा) के निवासी थे। 'बारहमासी' और 'गोवर्धनलीला' खोज में इनकी दो रचनाएँ उपलब्ध हुई हैं। 'बारहमासी' में कांता प्रत्येक मास में होनेवाले दु:खों का वर्णन कर अपने पति को प्रवास जाने से रोकती है। 'गोवर्धनलीला' प्रबंधात्मक रचना है जिसमें श्रीकृष्ण इंद्रपूजा का निषेध करवाकर नंद गोपों से गोवर्धन पुजवाते हैं। कवित्व के विचार से इन दोनों ही रचनाओं का साधारण महत्व है।
  • (२) दूसरे हरिनारायण भरतपुर में स्थित कुम्हेर के निवासी ब्राह्मण थे। इनकी तीन रचनाएँ बताई गई हैं - (१) 'माधवानलकामकंदला', (२) 'बैतालपचीसी' कथाप्रधान रचना है। तीसरी रचना 'रुक्मिणीमंगल' में श्रीकृष्णप्रिया रुक्मिणी के हरण का वर्णन है। पहले हरिनारायण की अपेक्षा दूसरे हरिनारायण में काव्यगरिमा अधिक है।