हम देखेंगे
"हम देखेंगे" | |
---|---|
द्वारा एकल संगीत | |
प्रकार | नज़्म |
गीत लेखक | फैज़ अहमद फैज़ |
हम देखेंगे कि फैज़ अहमद फैज़ द्वारा लिखित एक लोकप्रिय क्रांतिकारी उर्दू नज़्म है। [1] इकबाल बानो की आवाज़ में इसकी प्रस्तुति ने इसे उन लाखों लोगों तक पहुँचा दिया है जो भारतीय भाषाओं को जानते हैं। [2]
इक़बाल बानो और हम देखेंगे
[संपादित करें]"हम देखेंगे" तानाशाह ज़िया-उल-हक के समय में इकबाल बानो की आवाज़ में सत्तावादी उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष की आवाज़ पाकिस्तान में नारा बन गया I ऐसा कहा जाता है कि इक़बाल बानो ने इसे लाहौर के एक हॉल में गाना था लेकिन तानाशाह ज़िया-उल-हक ने हॉल सहित पूरी इमारत के मुख्य द्वार को बंद कर दिया। गुरबचन सिंह भुल्लर के एक लेख के अनुसार, इकबाल बानो बाहर बैठ गई। हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। उस समय फैज़ जेल में थे और उनकी रचनाओं पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इकबाल बानो ने लाहौर स्टेडियम में फैज़ दिवस के दौरान पचास हज़ार लोगों के सामने यह नज़्म पेश की। ज़िया-उल-हक ने साड़ी पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ था। लेकिन इक़बाल बानो साड़ी पहन कर ही गई थी और वह काले रंग की [3]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Vincent, Pheroze L. (January 2, 2012), Faiz poetry strikes chord in Delhi, Calcutta, India: The Telegraph, 27 मई 2016 को मूल से पुरालेखित, अभिगमन तिथि: 5 जनवरी 2020
{{citation}}
: Italic or bold markup not allowed in:|publisher=
(help) - ↑ Khan, M Ilyas (April 22, 2009). "Pakistani singer Iqbal Bano dies". BBC News. 3 जुलाई 2019 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 5 जनवरी 2020.
- ↑ http://punjabitribuneonline.com/2011/04/ਫ਼ੈਜ਼-ਇਕਬਾਲ-ਬਾਨੋ-ਅਤੇ-‘ਹਮ-ਦੇਖ/