हमीदी कश्मीरी
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बिहार के 18 जिलों में जैसवार कुर्मी को ही धानुक कहा जाता है
| हमीदी कश्मीरी | |
|---|---|
| पेशा | साहित्यकार |
| भाषा | कश्मीरी भाषा |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| विषय | कविता–संग्रह |
| उल्लेखनीय कामs | यथ मिआनी जोए |
हमीदी कश्मीरी कश्मीरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह यथ मिआनी जोए के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1] भारत सरकार ने उन्हें 2010 में देश के उच्चतम नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]Writings
[संपादित करें]कश्मीरी ने अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत लघु कथाएँ लिखने से की, उनकी प्रारंभिक कथाएँ बीसवीन सदी जैसी उर्दू पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। बाद में उन्होंने कविता और साहित्यिक आलोचना पर ध्यान केंद्रित किया, जो उर्दू साहित्य में प्रमुख आधुनिकतावादी लेखकों में से एक बन गए।[2]
आलोचना
[संपादित करें]उनकी आलोचनात्मक कृतियाँ शास्त्रीय और आधुनिक उर्दू कविता दोनों से जुड़ी हुई हैं। कश्मीरी ने मीर ताकी मीर, अल्लामा इकबाल, फैज़ अहमद फैज़ और मिर्जा गालिब जैसे कवियों पर लिखा।
उन्होंने लगभग 50 पुस्तकें लिखीं, जिनमें इक्तिसाफी तंजीद की शेरियत (द चारडे ऑफ एक्सप्लोरेटरी क्रिटिसिज्म) ऐनाम इबराक (द मिरर ऑफ लाइटनिंग) महसीर तंजीद (सीज़ ऑफ क्रिटिसिज्म रियासती जम्मू और कश्मीर उर्दू अदाब (राज्य जम्मू और कश्मीर, उर्दू साहित्य) जदीद काशीर शायरी (आधुनिक कश्मीरी कविता) शामिल हैं शेखुल आलम और shayri(नंद ऋषि और पोएट्री) इक़बाल और ग़ालिब.।[1].[2]
Early life and education
[संपादित करें]कश्मीरी का जन्म बोहरी कदल, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर, ब्रिटिश भारत में 1932 में हुआ था।[2] उन्होंने उर्दू साहित्य में उच्च शिक्षा हासिल की, और फिर आधुनिक उर्दू कविता पर यूरोपीय विचार के प्रभाव पर पीएचडी पूरी की।[2]
Writings
[संपादित करें]कश्मीरी ने अपनी साहित्यिक रचना का प्रारंभ लघु कथाएँ लिखने से किया, उनकी प्रारंभिक कथाएँ बीसवीन सादी जैसी उर्दू पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। बाद में उन्होंने कविता और साहित्यिक आलोचना पर ध्यान केंद्रित किया, और उर्दू साहित्य के प्रमुख आधुनिकतावादी लेखकों में से एक बन गए।[2]
आलोचना
[संपादित करें]उनकी आलोचनात्मक कार्य शास्त्रीय और आधुनिक उर्दू कविताओं दोनों से जुड़ी हुए हैं। कश्मीरी ने मीर ताकी मीर, अल्लामा इकबाल, फैज़ अहमद फैज़ और मिर्जा गालिब जैसे कवियों पर लिखा है। उनके पीएचडी शोध ने उर्दू काव्य परंपराओं पर यूरोपीय सौंदर्यशास्त्र के प्रभाव का सुझाव दिया।[2]
उन्होंने लगभग 50 पुस्तकें लिखीं, जिनमें इक्तिशाफी तनकीद की शेरियत (द चारडे ऑफ एक्सप्लोरेटरी क्रिटिसिज्म) ऐनाम इबराक (द मिरर ऑफ लाइटनिंग) महसीर तनकीद (सीज़ ऑफ क्रिटिसिज्म रियासती जम्मू और कश्मीर उर्दू अदाब (राज्य जम्मू और कश्मीर, उर्दू साहित्य) जदीद काशीर शायरी (आधुनिक कश्मीरी कविता) शामिल हैं।[1].[2]
Early life and education
[संपादित करें]कश्मीरी का जन्म बोहरी कदल, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर, ब्रिटिश भारत में 1932 में हुआ था।[2] उन्होंने उर्दू साहित्य में उच्च शिक्षा हासिल की, और फिर आधुनिक उर्दू कविता पर यूरोपीय विचार के प्रभाव पर पीएचडी पूरी की।[2]
कश्मीरी ने अपनी साहित्यिक रचना का प्रारंभ लघु कथाएँ लिखने से किया, उनकी प्रारंभिक कथाएँ बीसवीन सादी जैसी उर्दू पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। बाद में उन्होंने कविता और साहित्यिक आलोचना पर ध्यान केंद्रित किया, और उर्दू साहित्य के प्रमुख आधुनिकतावादी लेखकों में से एक बन गए।[2]
आलोचना
[संपादित करें]उनकी आलोचनात्मक कार्य शास्त्रीय और आधुनिक उर्दू कविताओं दोनों से जुड़ी हुए हैं। कश्मीरी ने मीर ताकी मीर, अल्लामा इकबाल, फैज़ अहमद फैज़ और मिर्जा गालिब जैसे कवियों पर लिखा है। उनके पीएचडी शोध ने उर्दू काव्य परंपराओं पर यूरोपीय सौंदर्यशास्त्र के प्रभाव का सुझाव दिया।[2]
उन्होंने लगभग 50 पुस्तकें लिखीं, जिनमें इक्तिशाफी तनकीद की शेरियत (द चारडे ऑफ एक्सप्लोरेटरी क्रिटिसिज्म) ऐनाम इबराक (द मिरर ऑफ लाइटनिंग) महसीर तनकीद (सीज़ ऑफ क्रिटिसिज्म रियासती जम्मू और कश्मीर उर्दू अदाब (राज्य जम्मू और कश्मीर, उर्दू साहित्य) जदीद काशीर शायरी (आधुनिक कश्मीरी कविता) शामिल हैं।[1].[2]
Writings
[संपादित करें]कविता और कल्पना
[संपादित करें]कश्मीरी ने अपनी साहित्यिक रचना की शुरुआत लघु कथाएँ लिखने से की, उनकी प्रारंभिक कथाएँ जैसी बीसवीन सदी उर्दू पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। बाद में उन्होंने कविता और साहित्यिक आलोचना की ओर ध्यान केंद्रित किया, जिस से वह उर्दू साहित्य में प्रमुख आधुनिकतावादी लेखकों में से एक बन गए।[2]
आलोचना
[संपादित करें]उनकी आलोचनात्मक कृतियाँ शास्त्रीय और आधुनिक उर्दू कविताओं दोनों से जुड़ी रही हैं। कश्मीरी ने मीर ताकी मीर, अल्लामा इकबाल, फैज़ अहमद फैज़ और मिर्जा गालिब जैसे कवियों पर लिखा। उनके पीएचडी शोध ने उर्दू काव्य परंपराओं पर यूरोपीय सौंदर्यशास्त्र के प्रभाव का सुझाव दिया।[2]
उन्होंने लगभग 50 पुस्तकें लिखीं, जिनमें इक्तिसाफी तनक़ीद की शेरियत (द चारडे ऑफ एक्सप्लोरेटरी क्रिटिसिज्म) ऐनाम इबराक (द मिरर ऑफ लाइटनिंग) महसीर तनक़ीद (सीज़ ऑफ क्रिटिसिज्म रियासती जम्मू और कश्मीर उर्दू अदब (राज्य जम्मू और कश्मीर, उर्दू साहित्य) जदीद कशीर शायरी (आधुनिक कश्मीरी कविता) शामिल हैं।[1].[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 11 सितंबर 2016.
- 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 Bhat, Tahir (2018-12-27). "In Hamidi's Death, Kashmir Lost An Eminent Literary Critic". Kashmir Life. अभिगमन तिथि: 2025-08-16. सन्दर्भ त्रुटि:
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