स्यांकुरी, धारचुला तहसील

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स्यांकुरी, धारचुला तहसील
—  गाँव  —
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें)
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला पिथोरागढ
आधिकारिक भाषा(एँ) हिन्दी,संस्कृत, अस्कोटि कुमाउनी
आधिकारिक जालस्थल: www.uttara.gov.in


स्यांकुरी, धारचुला तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। नेपाल सीमा से लगे गाँवों में यह गाँव भौगोलिक रूप से क्षेत्र के मध्य में स्थित है। धारचूला नगर से रांथी, जुम्मा के बाद तीसरा गाँव है। विषम भौगोलिक स्थितियों वाले इस गाँव में दलित, कार्की, तथा धामी तीन समुदाय निवासित है। इस गाँव मे प्रवेश हेतु पैदल मार्ग एलागाढ़ से शुरू हो जाता है जहाँ पर धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना का पावर हाउस बना हुआ है। यहाँ जुम्मा तथा स्यांकुरी गाँव का संयुक्त छोटा सा हाट है। यदि गाड़ी से यात्रा करते है तो खेला गाँव की सीमा के पास से गाड़ी स्यांकुरी की तरफ मुड़ती है। यहां से आप स्यांकुरी गाँव मे प्रवेश कर सकते हैं। गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य की उचित व्यवस्था न होने से लोग पलायन की स्थिति में है। कृषि भूमि दिन ब दिन कम होती नजर आती है। परिश्रमी ग्रामीणों कर सामने विविध समस्याओं के बावजूद लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह लेखक का अपना गांव है।

पूर्व में स्यांकुरी का नाम गोंगला था जो कि अब भी बहुत से भोटिया लोग इसी नाम से पुकारते हैं। गांव नीचे से ऊपर गसीला, रोपला, कार्की गाँव, बांस, माचपोली, धामी गाँव, थुमली, धुरा तथा पलपला इत्यादि तोकों में बंटा है। गाँव पूरे क्षेत्र का सबसे समृद्ध एवं स्वच्छ गाँव है जो लगभग बैंकिंग सेवा के अतिरिक्त स्मार्ट विलेज जैसी सभी सुविधाओं से परिपूर्ण है।

गाँव की 2011 के अनुसार जनसंख्या देखने के लिए लिंक में क्लिक करें।[1]

स्यांकुरी गांव के मुख्य मटिया देवता हुस्कर के मंदिर, साथ में सोस्कर देवता का मंदिर

गांव में मुख्य आराध्य के रूप में देखा जाये तो क्षेत्र के अधिपति छिपलाकेदार के सबसे छोटे पुत्र हुस्कर देवता इस गांव के मटिया अथवा मिट्टी के देवता है। यह बंटवारा मां कोकिला ने किया था कि कौन से देवता को कौन सी भूमि अथवा कार्य दिया जायेगा। गांव में आराध्यों एवं मंदिरों की बात करें तो दलितों के आराध्य देव बालो अथवा बालचन से शुरू करते हैं। इसके बाद गांव में सप्पूर्ण क्षेत्र के अधिपति भगवान छिपलाकेदार का मंदिर है, उसी से लगा हुआ हरचन देवता का मंदिर है। यहीं निकट में लाटू देवता का मंदिर जिसे लटैनाथ कहा जाता है, स्थित है।

गांव के मध्य में आये तों 12 देवताओं का पाट स्थित है जहां छिपलाकेदार को आयोजित जात के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसी पाट के निकट गांव के मटिया हुस्कर देवता के 02 मंदिर तथा सम्पूर्ण क्षेत्र के रक्षक वीर सोस्कर देवता का मंदिर है। हुस्कर देवता से लगा देवी दुर्गा का मंदिर है। इसी पाट के थोड़ा उपर बरम देवता का मंदिर है। बरम देवता मंदिर की दायीं तरफ भव्य महादेव मंदिर भी स्थित है। गांव में सबसे उपर स्थित मंदिर है देवी कोकिला को समर्पित दे मंदिर। मन्दिरों को स्थानीय भाषा में माणों कहा जाता है।

गांव में बैंकिग विकास अब तक नहीं हुआ है किन्तु 01 पोस्ट ऑफिस है। गांव सम्पूर्ण क्षेत्र में सबसे स्वच्छ एवं विकसित गांव कहा जा सकता है। गांव में 03 प्राथमिक विद्यालय, तथा उसके उपरान्त 01 इंटर कॉलेज हैं जहां छठीं से लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई होती है।




स्याँकुरी गाँव का क्षेत्रफल 927 हेक्टेयर हैं, स्याँकुरी के पल्पला क्षेत्र और गशिला क्षेत्र में भूस्खलन के कारण अनेको परिवार सितारगंज में बस गए,, सरकारी जमीन मिलने के कारण अनेको परिवार सितारगंज के निवासी हो गए,,

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