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स्नानपात्र

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स्नानपात्र, जिसे आमतौर पर बाथ या टब कहा जाता है, हमारे घरों में एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है जो न केवल स्वच्छता के लिए बल्कि आराम और ताजगी के लिए भी उपयोगी होता है। यह एक ऐसा बर्तन होता है जिसमें पानी भरा जाता है, ताकि हम इसमें आराम से स्नान कर सकें। यह आमतौर पर बाथरूम में होता है, और अगर हम सोचें तो यह हमारे दिनभर की भागदौड़ और तनाव से छुटकारा पाने का एक बेहतरीन तरीका भी बन चुका है।

19वीं सदी में, पोर्सिलेन अंदरूनी और क्लॉफ़ूट पैरों पर रखे कास्ट आयरन स्नानपात्रों की लोकप्रियता बढ़ी

आजकल के स्नानपात्र विभिन्न सामग्रियों से बनाए जाते हैं जैसे कि थर्मोफॉर्म्ड एक्रिलिक, पोर्सिलेन-एनामेल्ड स्टील, कास्ट आयरन या फाइबरग्लास-प्रबलित पॉलीएस्टर। इन सामग्रियों का चुनाव इसलिए किया जाता है क्योंकि ये बेहद मजबूत और टिकाऊ होती हैं, साथ ही पानी के प्रभाव से जल्दी खराब नहीं होतीं। इनकी लंबी उम्र और आकर्षक डिज़ाइन स्नान के अनुभव को और भी बेहतरीन बना देते हैं।

आधुनिक स्नानपात्रों में कुछ विशेष सुविधाएँ भी होती हैं जो उपयोगकर्ता के अनुभव को सुखद बनाती हैं। जैसे, कुछ स्नानपात्रों में ओवरफ्लो की व्यवस्था होती है, ताकि अगर पानी ज्यादा भर जाए, तो वह बाहर गिरने के बजाय अपने आप बाहर निकल जाए। इसके अलावा, इन स्नानपात्रों में नाली के पाइप भी होते हैं, जो पानी के बहाव को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। कुछ स्नानपात्रों में नल भी लगे होते हैं, जिससे पानी का प्रवाह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

पहले के समय में, स्नानपात्र ज्यादातर आयताकार होते थे, क्योंकि उस समय की तकनीक और सामग्री के हिसाब से यही आकार बनाना आसान था। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक में सुधार हुआ, स्नानपात्रों के आकार और डिज़ाइन में भी बदलाव आया। अब हम गोलाकार, अंडाकार और कस्टम डिज़ाइनों वाले स्नानपात्र भी देख सकते हैं। इन डिज़ाइनों का उद्देश्य केवल सुविधा नहीं, बल्कि बाथरूम की सुंदरता और उपयोगिता को भी बढ़ाना होता है। सफेद रंग का स्नानपात्र सबसे सामान्य होता है, लेकिन अब लोग विभिन्न रंगों और डिज़ाइनों में स्नानपात्र पसंद करते हैं, ताकि उनका बाथरूम स्टाइलिश और मॉडर्न लगे।[1][2]

स्नानपात्र की शैलियाँ

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स्नानपात्र की दो प्रमुख शैलियाँ हैं, जो विभिन्न संस्कृतियों में प्रचलित हैं:

पश्चिमी शैली के स्नानपात्र: पश्चिमी देशों में स्नान करने के तरीके में एक आरामदायक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। इस शैली के स्नानपात्रों में व्यक्ति लेटकर स्नान करता है। इन स्नानपात्रों का डिज़ाइन लंबा और उथला होता है, ताकि व्यक्ति आराम से लेटकर स्नान का आनंद ले सके। खासकर पश्चिमी देशों के बाथरूम में यही शैली आमतौर पर देखने को मिलती है। यह एक तरह का रिलैक्सेशन और शांति का अनुभव होता है, जहां आप अपने थके हुए शरीर को पूरी तरह से आराम दे सकते हैं।

पूर्वी शैली के स्नानपात्र: दूसरी ओर, जापान और अन्य एशियाई देशों में स्नान की एक अलग परंपरा है। यहाँ के स्नानपात्र छोटे और गहरे होते हैं, और व्यक्ति इनमें बैठकर स्नान करता है। इसे जापान में फुरो कहा जाता है। इस प्रकार के स्नानपात्र शरीर को पूरी तरह से गर्म पानी में डुबोकर स्नान करने का अनुभव देते हैं, जिससे रक्त संचार में सुधार होता है और पूरे शरीर को ताजगी का अहसास होता है। यह एक बहुत ही पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक तरीका है, जो मानसिक और शारीरिक आराम का एक बेहतरीन तरीका माना जाता है।[3]

  1. मैकक्लेरी, जॉन बैसेट (2002). हिप्पी शब्दकोश. कनाडा: टेन स्पीड प्रेस. p. 220. ISBN 978-1-58008-547-2.
  2. "इतिहास में डिज़ाइन स्नानपात्र का विकास". CeramicaFlaminia. 13 अगस्त 2015. मूल से से 2 अगस्त 2018 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 21 अगस्त 2016.
  3. ऑस्टिन, जीन (17 अगस्त 1991). "क्या नया सौम्य स्नानपात्र कठिन विपणन की आवश्यकता करेगा?". Chicago Tribune. अभिगमन तिथि: 27 जुलाई 2018.