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सौत्रान्तिक

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'सौत्रांतिक मत हीनयान परंपरा का बौद्ध दर्शन है। इसका प्रचार भी लंका में है। इस मत के अनुसार पदार्थों का प्रत्यक्ष नहीं, अनुमान होता है। अत: उसे बाह्यानुमेयवाद कहते हैं। सौत्रान्तिक पाठशाला की शुरुआत बौद्ध मुनि कुमारलात से मानी जाती है। ये बाह्यार्थ को अनुमेय मानते हैं। यद्यपि बाह्यजगत की सत्ता दोनों स्वीकार करते हैं, किन्तु दृष्टि के भेद से एक के लिए चित्त निरपेक्ष तथा दूसरे के लिए चित्त सापेक्ष अर्थात् अनुमेय सत्ता है। सौत्रान्तिक मत में सत्ता की स्थिति बाह्य से अन्तर्मुखी है।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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  • "Sautrāntika Theory of Perception [Part 14]". www.wisdomlib.org. मूल से 5 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2020.
  • "Sautrāntika theory of Inference [Part 15]". www.wisdomlib.org. मूल से 5 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2020.