सैलिक क़ानून

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फ़्रैंकी राजा शिल्दबर्त तृतीय द्वारा जारी किया गया एक आदेश

सैलिक क़ानून (Salic law या Salian Law) मध्यकालीन यूरोप के फ़्रैंक लोगों की न्यायिक व्यवस्था थी। इसकी धाराओं को लातीनी भाषा में लिखित रूप में दर्ज किया गया था और फ़्रैंकी नरेश ने इसके रखरखाव के लिए एक समिति नियुक्त की हुई थी। इस क़ानून की ८वीं सदी ईसवी में बनी कई पांडुलिपियाँ मिली हैं और ९वीं सदी के अन्त तक के कुछ बदलावों वाले संस्करण भी मिलते हैं। एक ६ठी शताब्दी की प्रति भी मिली है लेकिन इसके सच्चे होने की पूर्ण पुष्टि अभी इतिहासकारों ने नहीं की है, इसलिए सम्भव है कि यह जाली हो या इसे समझने में कोई ग़लती हुई हो। इस बात पर सर्वसहमति है कि फ़्रैंकी क्षेत्रों में सैलिक क़ानून ६ठी सदी से लागू हो चुका था और इसका पहला प्रकाशन ५०७ से ५११ ईसवी के बीच हुआ।[1][2]

सैलिक न्याय-व्यवस्था में पैतृक धन-अधिकार जैसे नागरिक क़ानून (सिविल लॉ) और हत्या जैसे अपराधों से सम्बन्धित दंड विधि (क्रिमिनल लॉ) दोनों के सम्बन्ध मे धाराएँ मौजूद हैं। आधुनिक काल में मध्य यूरोप में जर्मनी, फ़्रान्स, बेलजियम, ऑस्ट्रीया, हंगरी और नेदेरलैंड्ज़ जैसे कई देशों के क़ानूनों पर सैलिक क़ानून का प्रभाव मिलता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Drew, Katherine Fischer (1991). The laws of the Salian Franks (Pactus legis Salicae). Philadelphia: University of Pennsylvania Press. ISBN 0-8122-8256-6/ISBN 0-8122-1322-X.
  2. Western Society: A Brief History, Volume 1: From Antiquity to Enlightenment, John P. McKay, Bennett D. Hill, John Buckler, Clare Haru Crowston, Merry E. Wiesner-Hanks, pp. 153, Macmillan, 2010, ISBN 9780312594282, ... In the sixth century one group, the Salian (SAY-lee-uhn) Franks, issued a law code called the Salic (SAL-ik) Law, the earliest description of Germanic customs ...