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सैद्धांतिक प्रतिमान

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सैद्धांतिक प्रतिमान या सैद्धांतिक प्रतिरूप (conceptual model) किसी तन्त्र, प्रक्रिया या अन्य चीज़ को दर्शाने या समझने व समझाने के लिए अवधारणाओं का एक समूह होता है। यह अवधारणाएँ मूल चीज़ के बारे में सोचने, तर्क-वितर्क व बात करने के लिए सुविधाजनक होता है। यह कई परिस्थितिओं में लाभदायक हो सकता है।[1][2]

किसी रेस्तरां में लोगों को बहुत देर से खाना मिलने की शिकायत रहती है, तो उसके प्रबन्धक एक अनौपचारिक सैद्धांतिक प्रतिमान बना सकते हैं, जिसमें वेटर, मेहमान, बावरचियों व मेज़ों की अवधारणाएँ प्रयोग होती हैं। इसके बाद प्रबन्धक लिख सकते हैं कि किसी मेज़ पर किस समय लोगों को बेठाया गया, किस समय उनसे वेटर द्वारा खाने का आदेश (ऑर्डर) लिए गए, किस समय यह ऑर्डर वेटर द्वारा रसोई तक पहुँचाए गए, किस समय खाना तैयार हुआ और किस समय मेहमानों को परोसा गया। यदि कुछ दिनों तक इन समयों को लिखा जाए तो बहुत से निष्कर्ष निकल सकते हैं। मसलन यह पता लग सकता है कि सब कुछ समय से होता है लेकिन रेस्तरां के एक कोने में बैठे लोगों का ऑर्डर देर से लिया जाता है और उन्हीं से शिकायते आती हैं, यानि कि वेटरों को यह निर्देश दिया जा सकता है कि उस कोने में बैठे लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाए।[3]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Gregory, Frank Hutson (January 1992) Cause, Effect, Efficiency & Soft Systems Models Warwick Business School Research Paper No. 42. With revisions and additions it was published in the Journal of the Operational Research Society (1993) 44(4), pp. 149–68.
  2. Mylopoulos, J. "Conceptual modeling and Telos1". प्रकाशित Loucopoulos, P.; Zicari, R (संपा॰). Conceptual Modeling, Databases, and Case An integrated view of information systems development. New York: Wiley. पपृ॰ 49–68. CiteSeerX 10.1.1.83.3647.
  3. A Conceptual model of dining satisfaction and return patronage. International Journal of Contemporary Hospitality Management, 11(5), 205–222. Kotler, P., (1973).