सेयफ़र्ट गैलेक्सी

खगोलशास्त्र में सेयफ़र्ट गैलेक्सी (Seyfert galaxy) सक्रीय गैलेक्सियों के दो प्रमुख प्रकारों में से एक है। क्वेसार दूसरा प्रमुख प्रकार है। दोनों में सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक बहुत तेजस्विता से चमकता है, लेकिन जहाँ क्वेसार में गैलेक्सी का अन्य भाग इस केन्द्रीय तेजस्विता के सामने दिखता नहीं है, वहाँ सेयफ़र्ट गैलेक्सियों में गैलेक्सी के अन्य भाग को स्पष्टता से देखा जा सकता है।[1]
पूरे ब्रह्माण्ड में देखी गई गैलेक्सियों में से लगभग १०% सेयफ़र्ट गैलेक्सियाँ हैं।[2]
सेयफ़र्ट गैलेक्सियों के केन्द्र में विशालकाय काले छिद्र होते हैं और उनके इर्द-गिर्द उनमें गिर रहे मलबे के अभिवृद्धि चक्र होते हैं। इनमें देखा गया पराबैंगनी विकिरण इन्हीं चक्रों से उत्पन्न होता है और इस विकिरण के वर्णक्रम को परखकर मलबे में सम्मिलित पदार्थ की पहचान की जा सकती है।[3] इन गैलेक्सियों का नाम कार्ल सेयफ़र्ट नामक खगोलशास्त्री पर रखा गया था जिन्होंने सन् १९४३ में इस श्रेणी का विवरण दिया था।[4]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Peterson, Bradley M. (1997). An Introduction to Active Galactic Nuclei. Cambridge University Press. ISBN 978-0-521-47911-0. 20 जुलाई 2018 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 4 जून 2018.
- ↑ Maiolino, R.; Rieke, G. H. (1995). "Low-Luminosity and Obscured Seyfert Nuclei in Nearby Galaxies". The Astrophysical Journal. 454: 95–105. बिबकोड:1995ApJ...454...95M. डीओआई:10.1086/176468.
- ↑ Davidsen, Arthur F. (1993). "Far-Ultraviolet Astronomy on the Astro-1 Space Shuttle Mission". Science. 259 (5093): 327–334. बिबकोड:1993Sci...259..327D. डीओआई:10.1126/science.259.5093.327. पीएमआईडी 17832344. मूल से से 11 अक्टूबर 2013 को पुरालेखित।.
- ↑ Seyfert, Carl K. (1943). "Nuclear Emission in Spiral Nebulae". The Astrophysical Journal. 97: 28–40. बिबकोड:1943ApJ....97...28S. डीओआई:10.1086/144488.