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सूसा

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सूसा प्राचीन ईरान का एक महत्वपूर्ण नगर था, जिसकी स्थापना लगभग 4000 ईसा पूर्व हुई थी। यह वर्तमान ईरान के खुज़ेस्तान प्रांत में स्थित था और इसे एलाम सभ्यता की राजधानी माना जाता था।[1]

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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सूसा की भौगोलिक स्थिति इसे मेसोपोटामिया के नजदीक लाती थी, जिससे इसका इतिहास इस क्षेत्र की अन्य सभ्यताओं से जुड़ा रहा। 1851 में, ब्रिटिश भूवैज्ञानिक डब्ल्यू. के. लॉटस ने सूसा के अवशेषों की खोज की और इसे बाइबिल में उल्लिखित शूशन के रूप में पहचाना।[2] इसके बाद, फ्रांसीसी पुरातत्वविदों ने यहां खुदाई की और शहर के चार प्रमुख भागों की पहचान की – एक्रोपोलिस (मुख्य धार्मिक केंद्र), अपादाना (दारा महान द्वारा निर्मित महल), रॉयल सिटी (राजसी क्षेत्र) और कारीगरों का नगर।[1]

एलाम युग और मेसोपोटामिया से संबंध

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तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से, सूसा एलाम सभ्यता की राजधानी बन गया। 2200 ईसा पूर्व के आसपास, अक्कादी शासक सरगोन महान ने सूसा को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया। हालांकि, कुछ समय बाद स्थानीय गवर्नर पुझुर-इंशुशिनक ने इसे स्वतंत्र घोषित कर दिया और यहां एक नई लिपि, लीनियर एलामाइट, विकसित की।[3]

दूसरी सहस्राब्दी की शुरुआत में, यह सुमेरियन उर-III राजवंश के शासन में आ गया, लेकिन जल्द ही सुक्कालमह वंश ने इसे पुनः स्वतंत्र कर दिया। यह पुराना एलाम युग कहलाता है। मध्य एलाम युग (1450-1050 ईसा पूर्व) के दौरान किनुइड, इगिहाल्किड और शुत्रुकिड वंशों ने यहां शासन किया। बाद में, नियो-एलाम युग (1050-539 ईसा पूर्व) के दौरान हम्बनिड वंश ने सत्ता संभाली।[3]

इस दौरान, बाबुल में एलामियों के हस्तक्षेप से अस्सीरियन शासक अश्शुरबनीपाल क्रोधित हो गया। 647 ईसा पूर्व में उसने सूसा पर आक्रमण कर शहर को जला दिया और इसके मंदिरों को नष्ट कर दिया।[4]

हखामनी और यूनानी शासन

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छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, हखामनी सम्राट दारा महान ने सूसा को अपनी प्रशासनिक राजधानी के रूप में चुना। उन्होंने अपादाना क्षेत्र में एक विशाल महल का निर्माण किया, जो बाबुल की स्थापत्य शैली और विशाल खंभों वाले सभागार का मिश्रण था।[2]

331 ईसा पूर्व में सिकंदर महान ने सूसा पर विजय प्राप्त की और इसे पहले फ़ारसी साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद, यह सेल्यूकस साम्राज्य का हिस्सा बना और इसका नाम सेल्यूकिया रखा गया।[1]

पार्थियन और सासानी युग

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सेल्यूकस साम्राज्य के पतन के बाद, पार्थियनों ने सूसा को अपनी शीतकालीन राजधानी बना लिया, जबकि उनकी ग्रीष्मकालीन राजधानी क्रेसिफोन थी। इसके बाद, सासानी शासकों ने भी इसे एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में बनाए रखा और यह रोमनों के साथ उनके संघर्ष के दौरान एक सुरक्षित शरणस्थली के रूप में कार्य करता था।[4]

इस्लामी विजय और पतन

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638 ईस्वी में, इस्लामी सेना ने फारस को हराकर सूसा को नष्ट कर दिया। हालांकि, यह नगर पूरी तरह से तबाह नहीं हुआ था, लेकिन 1218 में मंगोल आक्रमणकारियों ने इसे पूरी तरह उजाड़ दिया, जिसके बाद यह प्राचीन नगर स्थायी रूप से परित्यक्त हो गया।[4]

  1. Graef, Katrien De (2012), "Susa", The Encyclopedia of Ancient Histroy (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4443-3838-6, डीओआइ:10.1002/9781444338386.wbeah01187, अभिगमन तिथि 2025-01-30
  2. "Royal City of Susa: Ancient Near Eastern Treasures in the Louvre - The Metropolitan Museum of Art". www.metmuseum.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-30.
  3. UNESCO World Heritage Centre. "Susa". whc.unesco.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-30.
  4. "Susa | Achaemenid, Elamite, Persian Empire | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-30.