सूरजभान (राजनीतिज्ञ)

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श्री सूरजभान का जन्म एक दलित परिवार में गांव-महलांवली, जिला अम्बाला में 1 अक्टूबर, 1928 को हुआ । इन्होंने अपनी षिक्षा अम्बाला में प्रान्त की और पंजाब व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम0ए0,एल0एल0बी पास किया । उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चमेली देवी सामाजिक कल्याण कार्यो में रूचि रखती हैं । पारिवारिक स्तर पर इनका सुषिक्षित, सुखी व सम्पन्न परिवार हैं ।


श्सूरजभान ने भारत सरकार के डाक तार विभाग से देश सेवा का कार्य प्रारम्भ किया। ये प्रारम्भ से ही दलित, पिछड़े वर्गोें तथा मजदूरों के हितों के प्रबल समर्थक रहें हैं । सेवाकाल के दौरान 1952 से 1967 तक वे केवल डाक तार विभाग की यूनियन के ही कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि अन्य विभाग व कामगारों की भलाई के लिये उनके संगठन में भी लगातार अपना समय, सुझाव व सहयोग सक्रिय रूप से देते रहे हैं । जहां पर भी इन वर्गों पर अन्याय हुआ, इन्होंने उसका डटकर मुकाबला किया । इन्होंने किसान आन्दोलन व केन्द्रीय सरकार कर्मचारी हड़ताल के दौरान गिरफ्तारियां भी दीं तथा तीन मास तक जेल में रहे। आपात काल में तत्कालीन सरकार के तानाशाही रवैये का विरोध करने के कारण मीसा के अन्तर्गत उन्नीस माह तक नजरबन्द रहना पड़ा ।


वे 20-04-1998 से 23-11-2000 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप मे काम किए।

श्री सूरजभान का राजनैतिक जीवन परिचय भारतीय जनसंघ से आरम्भ हुआ । वे भारतीय जनसंघ की 1970-73 तक अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य, 1973-76 तक भारतीय जनसंघ के अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के इन्चार्ज व हरियाणा प्रदेष के सके्रटरी रहे हैं । इन्होंने हरियाणा में दलितों के हितों के लिये संगठित हरिजन संघर्ष समिति के संगठन सचिव का महत्वपूर्ण पद संभाला तथा उसका विस्तार पूरे प्रदेष में किया, श्री सूरजभान जी अखिल भारतीय डिप्रेरड क्लासेज लीग के महासचिव भी रहे हें । आप 1967 में अम्बाला से लोक सभा संसदीय चुनाव जीते । 1968 से 1970 तक व 1977 से 1979 की अवधि में संसद की अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण समिति के सदस्य भी रहे हैं । इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति/जनजाति के सूची संषोधन समिति के अध्यक्ष, 1978 व 1979 में अनुसूचति जाति/जनजाति के संसदीय समितिके महासचिव तथा संसद की (पटीषन कमेटी) के सदस्य भी रहे हैं। इन्होंने संसदीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में मिस्त्र, सूडान, व अल्जीरिया की विदेष यात्रा की ।

हरियाणा सरकार में 1987 से 1990 तक राजस्व मंत्री रहे तथा 1996 में प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई सरकार में कृषि मंत्री भी रह चुके हैं । श्री सूरजभान जी का बहुमूल्य समय दलितों व पिछड़ों के कल्याण के लिये समर्पित रहा है। 1948 में इन्होंने पंजाब अनुसूचित जाति/जनजाति विद्यार्थी परिषद संघ की स्थापना की तथा 1952 में पंजाब अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण संघ का संगठन किया । सदियों से दलित समुदाय पर हो रहे अत्याचार व अन्याय को इन्होंने कभी सहन नहीं किया । और उसके लिये बराबर संघर्ष करते रहे हैं । माननीय सूरजभान जी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। इन्होंने 1969-70 तक अंग्रेजी पत्रिका ‘‘अपराइट’’ का सम्पादन किया । इनको बागवानी करने का बहुत ही शौक है। आप डिप्टी स्पीकर जैसे व्यस्त पदों पर विराजमान रहकर भी अपना बहुमूल्य समय ज्ञानवर्द्धन के लिये संसद के पुस्तकालय में लगाते रहे हैं । ताकि लोक सभा में रखे जाने वाले विषयों पर बहस के दौरान माननीय सांसदों का उचित मार्ग-दर्षन कर सकें ।

सन्दर्भ[संपादित करें]

https://web.archive.org/web/20160418175749/http://upgovernor.gov.in/hindi_version/bhanbio_H.htm