सूदखोरी
दिखावट
सूदखोरी वो व्यवस्था होती है जिसमें कर्ज़ अत्यधिक ब्याज पर या कोई अनैतिक तरीके से दिया जाता है। इस व्यवस्था में कर्ज़ लेने वाले का लाभ नहीं बल्कि कर्ज देने वाला का लाभ प्रधान होता है।[1] ऐतिहासिक तौर पर और आज भी कई समाज में कर्ज पर ब्याज लेना ही सूदखोरी माना जाता था। ईसाई धर्म में ब्याज लेना गलत आचरण माना जाता था। इस कारण ईसाई समाजों में यहूदी ही कर्ज मुहैया कराते थे।[2] प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी सूदखोरी को गलत माना गया है।[3]
देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ नीरज मिश्रा. "सूदखोरी: गंदा है ये धंधा - पैसे हड़पने के लिए लगा देते हैं शराब, चरस का चस्का". जबलपुर, मध्य प्रदेश: पत्रिका. Archived from the original on 29 जनवरी 2018. Retrieved 27 जनवरी 2018.
- ↑ विवेक कौल (2017). ईज़ी मनी: रोबिंसन क्रूसोए से प्रथम विश्वयुद्ध तक धन का उद्भव. ISBN 9789351506706.
- ↑ कुमार, मल्तिनंदन. चलें सच की ओर. नोशन प्रेस. p. 189. ISBN 9789352065820. Archived from the original on 7 जनवरी 2018. Retrieved 27 जनवरी 2018.