सुशीला रोहतगी

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सुशीला रोहतगी

कार्यकाल
1962 से 1967

राष्ट्रीयता भारतीय

सुशीला रोहतगी (21 अगस्त 1921 - 9 अप्रैल 2011 ) भारत की एक राजनेता थीं। वे मदन मोहन मालवीय की परपोती (प्रपौत्री) थीं। वह ऐसी राजनीतिज्ञ थीं जो स्थानीय निकाय से लेकर लोकसभा और राज्यसभा की सदस्य भी बनीं। वह प्रांतीय और केंद्रीय सरकार में कई विभागों में मंत्री रहीं।

उनका जन्म प्रयागराज में 21 अगस्त 1921 को हुआ था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते कपिलदेव मालवीय की बेटी थीं। उनकी स्कूली शिक्षा थियोसोफिकल स्कूल इलाहाबाद, सेंट मेरी कान्वेंट और क्रासथवेट गर्ल्स कॉलेज और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने इतिहास में एमए किया था। उनका विवाह 1947 में समाज सुधारक महेंद्र रोहतगी के साथ हुआ। वे 1945 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर नियुक्त हुईं। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हुईं।

सुशीला रोहतगी 1959 में कानपुर नगर निगम की सदस्य चुनीं गईं। [उत्तर प्रदेश की तीसरी विधानसभा सभा में विधायक रहीं। 1962 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के 325 - कानपुर नगर-5 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। [1]

सुशीला रोहतगी 1967 में उत्तर प्रदेश के बिल्हौर से कांग्रेस के टिकट पर चौथी लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। उन्होंने दूसरी बार 1971 का चुनाव भी बिल्हौर से ही जीता। वे 1985 में उच्च सदन राज्यसभा की सदस्य भी चुनीं गईं।

सुशीला रोहतगी को मई 1971 में इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार में वित्त राज्यमंत्री बनाया। बाद में राज्यसभा के सदस्य के कार्यकाल में वे 1985 में राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में शिक्षा और संस्कृति राज्यमंत्री बनाई गईं। बाद में 1989 तक उन्होंने कई और मंत्रालयों का कामकाज देखा। वे ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस में भी सक्रिय रहीं। वे कान्फ्रेंस की कानपुर शाखा की अध्यक्ष भी रहीं।

सुशीला रोहतगी लखनऊ विश्वविद्यालय कोर्ट की सदस्य रहीं। वे यूपी सिटिजन्स कौंसिल, यूपी सरकार में उच्च शिक्षा और महिला शिक्षा समिति की भी सदस्य रहीं। वे यूपी स्टेट सोशल वेलफेयर बोर्ड, कानपुर नगर निगम के कार्यकारी समिति की भी सदस्य रहीं। वे यूपी बोर्ड टेक्निकल एजुकेशन फॉर वूमेन की भी सदस्य रहीं। सांसद के तौर पर वे शांति परिषद हेलिंसकी में 1965 में भारत का प्रतिनिधित्व करने गईं। वे 1958 में कोलंबों में हुए एफ्रो एशियन वूमेन कान्फ्रेंस में भी गईं।

सुशीला रोहतगी ने "बापू ने कहा था" नामक पुस्तक हिंदी में लिखी। तमाम पत्र पत्रिकाओं में वे हिंदी और अंग्रेजी में अक्सर लिखती थीं। उनकी रूचि शास्त्रीय संगीत और नृत्य में भी थी। खेलों में उनकी रूचि बैडमिंटन में रही। खाली समय में उन्हें साहित्य पढ़ना पसंद था। नब्बे वर्ष की उम्र में कानपुर में 2011 में उनका निधन हो गया।

प्रमुख तिथियाँ

1921 में 21 अगस्त को प्रयागराज में जन्म हुआ।

1947 में 27 जनवरी को महेंद्र रोहतगी के साथ विवाह हुआ।

1962 में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनीं गईं।

1967 में बिल्हौर (यूपी) लोकसभा का चुनाव जीता।

1985 में वे राज्यसभा की सदस्य चुनीं गईं।

1988 से 1994 तक यूपी विधानपरिषद की सदस्य रहीं।

2011 में नौ अप्रैल को उनका निधन हो गया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "उत्तर प्रदेश विधान सभा". मूल से 10 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.