सुधा अरोड़ा (English:Sudha Arora) (Urdu:سدھا ارورا) का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) में 4 अक्टूबर सन् 1946 में हुआ, एक लेखिका है। [1][2][3][4]उनकी उच्च शिक्षा कलकत्ता विश्वविधालय से हुई। इसी विश्वविधालय के दो कॉलेजों में उन्होंने सन् 1969 से 1971 तक अध्यापन कार्य किया। [5]सुधा अरोड़ा कथा साहित्य में एक चर्चित नाम है। [6]
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ लगभग सभी भारतीय भाषा के अलावा कई विदेशी भाषओं में अनुवादित है। [7] उन्होंने भारतीय महिलाओं, कलाकारों के आत्मकथ्यों के दो संकलन'‘दहलीज को लांघते हुए’' तथा '‘पंखोकी उड़ान’' तैयार किया हैं लेखन के स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में भी उनकी सक्रियता बनी हुई हैं। [8][9][10] पाक्षिक पत्रिका '‘सारिका’' में ‘आम आदमी जिन्दा सवाल’ और राष्ट्रीय दैनिक '‘जनसत्ता’' में महिलाओं से सम्बंधित मुद्दे पर उनका साप्ताहिक स्तंभ ‘वामा’ बहुचर्चित रहा है महिला संगठनो के सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी सक्रियता एवं समर्थन जारी है। [11] महिलाओं पर ही केन्द्रित‘औरत की दुनिया बनाम दुनिया की औरत’ लेखों का संग्रह शीघ्र प्रकाश्य है।उत्तर प्रदेश हिन्दी ससथान दबारा युदधविराम पुरुस्कार से सम्मानित किया गया हेे।[12][13]
भारतीय महिला कलाकारों के आत्मकथ्यों के दो संकलन—‘दहलीज़ को लाँघते हुए’ और ‘पंखों की उड़ान’- स्पैरो, मुंबई (Sound and Picture Archives for Research on Women)
मन्नू भंडारी: सृजन के शिखर ( 2010 ) - किताबघर प्रकाशन, दिल्ली
मन्नू भंडारी का रचनात्मक अवदान ( 2012 ) - किताबघर प्रकाशन, दिल्ली
स्त्री संवेदना : विमर्श के निकष ( 2015) - दो खंड - साहित्य भंडार इलाहाबाद
रहोगी तुम वही ( 2008 - उर्दू भाषा में; किताबदार, मुंबई )
उंबरठ्याच्या अल्याड पल्याड-(मनोविकास प्रकाशन, पुणे, महाराष्ट्र) (2012-स्त्री विमर्श पर आलेखों का संकलन मराठी भाषा में) मैथिलीच गोश्ट -(प्राजक्त प्रकाशन, पुणे, महाराष्ट्र - 2015 कहानी संकलन)
वेख धीयां दे लेख - यहीं कहीं था घर उपन्यास का पंजाबी अनुवाद
कहानी ‘ युद्धविराम’ (1975 - मुंबई दूरदर्शन केंद्र ), कहानी ‘दहलीज़ पर संवाद’ ( 1981 - लखनऊ दूरदर्शन केंद्र ) , कहानी ‘इतिहास दोहराता है’ 1986 ( कोलकाता दूरदर्शन केंद्र ) तथा कहानी‘जानकीनामा’ 2000 पर दिल्ली प्रसार भारती द्वारा लघु फिल्में निर्मित.
दूरदर्शन के ‘समांतर’ कार्यक्रम के लिए कुछ लघुफिल्मों का निर्माण