सुईं

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सुईं भारत के राजस्थान राज्य के बीकानेर ज़िले के लूनकरनसर में स्थित एक गांव है।

सुईं
SUINGARH
सुई, सिहगगोटी , सुंईगढ
गांव
Suin
उपनाम: सिहाग्गोटी
सुईं is located in राजस्थान
सुईं
सुईं
Location in Rajasthan, India
सुईं is located in भारत
सुईं
सुईं
सुईं (भारत)
निर्देशांक: 28°44′49″N 74°04′16″E / 28.746828°N 74.071000°E / 28.746828; 74.071000निर्देशांक: 28°44′49″N 74°04′16″E / 28.746828°N 74.071000°E / 28.746828; 74.071000
देश भारत
राज्यराजस्थान
ज़िलाबीकानेर
संस्थापकछोका राम सिहाग
नाम स्रोतसुशील सिहाग
शासन
 • सभासरपंच प्रतिनिधि प्रमोद सिंह राठौर
ऊँचाई194 मी (636 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल3,445
Languages
 • आफिशलहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिन कोड334603
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडRJ-IN
वाहन पंजीकरणRJ-07
नजदीकी शहरबीकानेर
लिंगानुपात997/1000 /

इतिहास[संपादित करें]

सुईं जांगलदेश में सिहाग गोत्र के जाट गणराज्य की राजधानी थी।[1] जिसका प्रमुख चोखा सिहाग था। जिसके अधीन 150 गाँव थे। सुंई गांव उनकी राजधानी थी और जिले पल्लू, दांदूसर, बीरमसर, गन्धेली, रावतसर थे।

एक किंवदंती के अनुसार इस गांव की स्थापना गोस्वामी समाज ने की थी । गोस्वामी समाज की कुलदेवी हिंगलाज माता है जो अभी वर्तमान में पाकिस्तान में है गोस्वामी समाज के यहां प्राचीन मठ हुआ करते थे सुई गांव में गोस्वामी समाज के मंदिर भी

मौजूद है सुई गांव में तारा गिरी जी व नवल गिरी जी दो भाइयों की अति प्राचीन जीवित समाधि है उनके पुत्र की समाधि शेरपुरा गांव में है जिन्हें भगत गिरी जी के नाम से जाना जाता है भगत गिरी जी के पिता का नाम नवल गिरी जी वह माता का नाम अणची बाई था तारा गिरी जी द्वारा सुई गांव में अति प्राचीन कुएं का निर्माण भी करवाया था एक जोहड़ का निर्माण भी करवाया था जिन्हें तराणा जोहड़ कहते हैं तारा गिरी जी के पास 300 से अधिक सफेद गाय थी। गोस्वामी समाज के गुरु दत्तात्रेय जी महाराज जो विष्णु जी के अवतार माने जाते हैं

यह एक जाट साम्राज्य की राजधानी थी इसके उपरांत यहां राजपूतो की राठौर वंश की स्थापना हुई ।

यहां पर ठाकुरों का राज था , जिन्हे हम सामंत भी कह सकते है। इनके मंदिर की सेवा स्वामी समाज करता है

यहां एक विशाल गढ़ है।


सुंई गांव के अंतिम ठाकुर हरिसिंह थे ।

वर्तमान में यहां लोकतंत्रात्मक गणराज्य शासन है।

यह भारत का ही अंग है।।।


संदर्भ[संपादित करें]

  1. Singh, Rajvi Amar (1992). Mediaeval History of Rajasthan: Western Rajasthan. Rajvi Amar Singh.