सीमान्त अभिकर्मक

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लौह (Fe) और गन्धक (S) के समान द्रव्यमान फ़ेरस सल्फाइड (FeS) के निर्माण हेतु अभिक्रिया करते हैं, किन्तु इसके उच्च परमाणु भार के कारण, लौह सीमान्त अभिकर्मक है और एक बार जब सभी लौह का प्रयोग कर लिया जाता है, तो कुछ सल्फर अप्राप्य रहता है।

रासायनिक अभिक्रिया में, सीमान्त अभिकर्मक एक अभिकर्मक है जो रासायनिक अभिक्रिया पूर्ण होने पर पूर्ण रूप से समाप्त होता है। प्रायः अभिक्रियाओं में सन्तुलित समीकरण के अनुसार आवश्यक अभिक्रियकों की मात्राएँ उपस्थित नहीं होती। ऐसी स्थितियों में एक अभिक्रियक दूसरे की अपेक्षा आधिक्य में उपस्थित होता है। जो अभिक्रियक कम मात्रा में उपस्थित होता है, वह कुछ देर बाद समाप्त हो जाता है। उसके बाद और आगे अभिक्रिया नहीं होती, भले ही दूसरे अभिक्रियक की कितनी ही मात्रा उपस्थित हो। अतः जो अभिक्रियक प्रथम समाप्त होता है, वह उत्पाद की मात्रा को सीमित कर देता है। तत्त्वानुपातिकीय गणनाएँ करते समय यह ध्यान में रखनी चाहिए।

सन्दर्भ[संपादित करें]