सिस्टोस्कॉपी

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शल्य चिकित्सा कक्ष में रोगाणुमुक्त किया हुआ फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोप

सिस्टोस्कॉपी (Cystoscopy) (si-ˈstäs-kə-pē) मूत्रमार्ग (urethra) के माध्यम से की जाने वाली, मूत्राशय (urinary bladder) की एंडोस्कोपी है। यह सिस्टोस्कोप की सहायता से की जाती है।

नैदानिक सिस्टोस्कॉपी स्थानीय एनेस्थेसिया (local anaesthesia) के साथ की जाती है। शल्य-क्रियात्मक सिस्टोस्कॉपी प्रक्रिया के लिए कभी-कभी व्यापक एनेस्थेसिया (general anaesthesia) भी दिया जाता है।

मूत्रमार्ग वह नली है जो मूत्र को मूत्राशय से शरीर के बाहर ले जाती है। सिस्टोस्कोप में दूरदर्शी (telescope) अथवा सूक्ष्मदर्शी (microscope) की तरह ही लेंस लगे होते हैं। ये लेंस चिकित्सक को मूत्रमार्ग की आतंरिक सतहों पर फोकस (संकेंद्रित) करने की सुविधा प्रदान करते हैं। कुछ सिस्टोस्कोप ऑप्टिकल फ़ाइबर (कांच का लचीला तार) का प्रयोग करते हैं जो उपकरण के अग्रभाग से छवि को दूसरे सिरे पर लगे व्यूइंग पीस (अवलोकन पीस) पर प्रदर्शित करते हैं। सिस्टोस्कोप एक पेन्सिल की मोटाई से लेकर 9 मिली मीटर तक मोटे होते हैं तथा इनके अग्रभाग पर प्रकाश स्रोत होता है। कई सिस्टोस्कोप में कुछ अतिरिक्त नलियां भी लगी होती हैं जो मूत्र सम्बन्धी समस्याओं के उपचार हेतु शल्य-क्रियात्मक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक उपकरणों का मार्ग-प्रदर्शन करती हैं।

सिस्टोस्कॉपी दो प्रकार की होती हैं - फ्लेक्सिबल तथा रिजिड - यह सिस्टोस्कोप के लचीलेपन के अंतर पर आधारित होती है। फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी दोनों लिंगों में स्थानीय एनेस्थेसिया की सहायता से की जाती है। आमतौर पर, एनेस्थेटिक के रूप में ज़ाईलोकेन जेल (xylocaine gel) (उदाहरण के लिए ब्रांड नाम इन्सटिलाजेल) का प्रयोग किया जाता है, इसे मूत्रमार्ग में डाला जाता है। रिजिड सिस्टोस्कॉपी भी सामान परिस्थितियों में की जा सकती है, परन्तु सामान्य रूप से यह व्यापक एनेस्थेसिया देकर, विशेष रूप से पुरुष मरीजों में प्रोब से होने वाले कष्ट के कारण, की जाती है।

एक डॉक्टर निम्नलिखित स्थितियों में सिस्टोस्कॉपी की सलाह दे सकता है:[1]

  • अक्सर होने वाले मूत्रमार्ग के संक्रमण
  • मूत्र में रक्त आना (हेमाटूरिया)
  • मूत्राशय पर नियंत्रण का अभाव (इनकॉन्टीनेन्स) अथवा अतिसक्रिय मूत्राशय
  • मूत्र में असामान्य कोशिकाओं के नमूने पाया जाना
  • मूत्राशय के लिए कैथेटर की आवश्यकता
  • मूत्र-त्याग के समय दर्द होना, दीर्घकालिक श्रोणि संबन्धी दर्द, अथवा इन्टर्स्टिशल सिस्टीसिस
  • मूत्र सम्बन्धी अवरोध जैसे कि प्रोस्टेट के बढ़ने के कारण, स्ट्रिकचर, अथवा मूत्रमार्ग का संकरा हो जाना
  • मूत्रमार्ग में पथरी
  • असामान्य वृद्धि, पौलिप, ट्यूमर अथवा कैंसर

पुरुष तथा महिला मूत्रमार्ग[संपादित करें]

फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी.शीर्ष दोनों छवियों एक पुरुष रोगी के मूत्राशय के आतंरिक भागों को प्रदर्शित करती हैं। ऊपर दायीं छवि में मूत्राशय के अन्दर सिस्टोस्कोप घूम कर अपनी ही छवि दिखा रहा है। नीचे की दोनों छवियां मूत्रमार्ग में लाली को दर्शा रही हैं

यदि मरीज़ के मूत्रमार्ग में ऊपर की ओर कोई पथरी अटकी हो, चिकित्सक एक कहीं पतले स्कोप का प्रयोग कर के मूत्राशय से होकर मूत्रवाहिनियों (ureter) तक पहुंच सकता है, इस उपकरण को यूरेटेरोस्कोप कहते हैं। (मूत्रवाहिनियां वे नलिकाएं होती हैं जो किडनियों से मूत्राशय तक मूत्र को लाती हैं). चिकित्सक उस पथरी को देख कर उसे हटा कर एक तार के छोर पर लगी छोटी सी डलिया के द्वारा निकाल सकता है, जिसे यूरेटेरोस्कोप में एक अतिरिक्त नली के द्वारा डाला जाता है। बड़ी पथरियों के लिए चिकित्सक यूरेटेरोस्कोप में अतिरिक्त नली के द्वारा एक लचीला तंतु, जिसमें लेज़र किरण होती है, के द्वारा उस पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जो तब, मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

परीक्षण प्रक्रिया[संपादित करें]

हालांकि चिकित्सक विशेष निर्देश देते हैं, परन्तु अधिकांश मामलों में, मरीज़ परीक्षण के बाद सामान्य रूप से भोजन तथा अपनी दैनिक गतिविधियां कर सकते हैं। मरीजों को कभी-कभी परीक्षण से पहले मूत्र का नमूना देने को कहा जाता है जिससे उसमें संक्रमण का पता लगाया जा सके। इन मरीजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एक पर्याप्त अवधि तक मूत्र त्याग न करें, जिससे कि वे परीक्षण से पहले इस समय मूत्र त्याग कर सकें.

मरीजों को अपने शरीर के निचले हिस्से को ढंकने वाले कपडे उतारने होते हैं, हालांकि कुछ चिकित्सक यह पसंद करते हैं कि मरीज़ अस्पताल का गाउन पहने और अपने शरीर के निचले हिस्से को रोगाणुहीन किये गए परदे से ढंक ले. अधिकांशतः, मरीज़ को अपनी पीठ के बल लेट कर अपने घुटनों को फैलाना होता है। कभी कभी, मरीज़ को अपने घुटने उठाने भी पड़ सकते हैं। विशेष रूप से ऐसा तब किया जाता है जब उसका रिजिड सिस्टोस्कॉपी परीक्षण किया जा रहा हो। फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी प्रक्रिया के दौरान मरीज़ लगभग हमेशा सचेत रहता है और उसके कष्ट को कम करने के लिए स्थानीय एनेस्थेसिया का प्रयोग किया जाता है। ऐसे मामलों में, जिनमें रिजिड सिस्टोस्कॉपी की आवश्यकता हो, मरीज़ को व्यापक एनेस्थेसिया देना असामान्य नहीं है, क्योंकि ऐसा, विशेष रूप से पुरुष मरीजों में, अधिक कष्टदायक हो सकता है। एक डॉक्टर, नर्स या तकनीशियन मूत्रद्वार के आसपास का क्षेत्र साफ़ करके स्थानीय एनेस्थेसिया लगाता है। स्थानीय एनेस्थेसिया को ट्यूब से सीधे ही अथवा बिना सुई की सिरिंज की सहायता से लगाया जा सकता है। अक्सर, त्वचा की तैयारी हिबिटेन की सहायता से की जाती है।[2]

ऐसे मरीज़ जिनकी यूरेटोस्कोपी की जानी हो, उन पर रीढ़ की हड्डी में लगाये जाने वाले अथवा व्यापक एनेस्थेसिया का प्रयोग किया जाता है।

चिकित्सक सिस्टोस्कोप के अग्रभाग को धीरे से मूत्रमार्ग में प्रवेश करा कर इसे दिशा निर्देशित करते हुए मूत्राशय तक ले जाते हैं। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा अधिक कष्टदायी होती है क्योंकि पुरुष मूत्रमार्ग अधिक लम्बा तथा संकरा होता है। श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों को शिथिल करने से परीक्षण के इस भाग को सरल बनाया जा सकता है। सिस्टोस्कोप से होकर एक रोगाणुहीन तरल पदार्थ (जल, नमकयुक्त जल अथवा ग्लाईसीन विलयन) प्रवाहित किया जाता है जिससे धीरे-धीरे मूत्राशय को भरा जा सके और तब वह फ़ैल कर चिकित्सक को मूत्राशय की दीवारों का बेहतर दृश्य प्रदान किया जा सके।

जब मूत्राशय अपनी क्षमता तक भरने लगता है तब मरीजों को विशिष्ट रूप से असुविधा होती है तथा मूत्रत्याग की इच्छा होने लगती है।

सिस्टोस्कोप को डालने से लेकर निकालने तक का समय कुछ मिनिटों का ही होता है, परन्तु यदि चिकित्सक वहां पथरी पाता है अथवा ऐसे मामलों में जहां बायोप्सी की आवश्यकता होती है, समय अधिक लग सकता है। बायोप्सी लेने (ऊतकों का एक छोटा नमूना लेना जिसको सूक्ष्मदर्शी से जांचा जाता है) की क्रिया इस प्रक्रिया को लम्बी कर सकती है। अधिकांश मामलों में, तैयारी सहित संपूर्ण परीक्षण में लगभग 15 से 20 मिनट का समय लगता है।

परीक्षण के बाद, अक्सर रोगियों को मूत्रत्याग के समय जलन महसूस होती है तथा अक्सर उन्हें मूत्र में अल्प मात्रा में रक्त भी दिखाई पड़ता है। रिजिड उपकरणों का प्रयोग करते हुए की जाने वाली प्रक्रियाओं के परिणामस्वरुप मूत्र-सम्बन्धी असंयम तथा रिसाव, अज्ञात कारणों से मूत्रमार्ग को हुई क्षति के कारण होता है। कभी कभी, मरीजों के पेट के निचले भाग में दर्द होता है, जो मूत्राशय की मांसपेशियों की ऐंठन को दर्शाता है, परन्तु यह आमतौर से नहीं होता है।

परीक्षण के बाद की परेशानियों से बचने के चिकित्सा निर्देशों में आमतौर से शामिल होते हैं:

  • 2 घंटे के भीतर 32 औंस (1 लीटर) तरल का सेवन.
  • जलन की अनुभूति में आराम पहुंचाने के लिए गुनगुने पानी से स्नान करना।
  • एक गर्म व नम कपड़े को मूत्रमार्ग के द्वार पर लगाना.

कुछ चिकित्सक संक्रमण से बचाने के लिए 1 या 2 दिनों तक एंटीबायोटिक लेने की सलाह देते हैं। हालांकि, हाल के रुझानों में ऐसे अभिरक्षक उपचारों (एंटीबायोटिक दवाओं को निवारक उपचार के रूप में देना, जहां संक्रमण का कोई चिन्ह न हो) को निरुत्साहित किया जाता है कयोंकि इनसे जीवाणुओं के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध क्षमता की दर बढ़ जाती है।

चिकित्सक मरीजों को जलन से बचाने के लिए पायरीडियम 200 मिलीग्राम लेने की सलाह देते हैं[3].

नोट्स[संपादित करें]

  1. "मूत्राशयदर्शन और युरेट्रोस्कोपी - डॉक्टरों का लाउंज (टीएम (TM))". मूल से 10 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जनवरी 2011.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जनवरी 2011.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.

सन्दर्भ[संपादित करें]

अनुकूलित हुआ है संख्या 01-4800, https://web.archive.org/web/20021002164707/http://www.niddk.nih.gov/health/kidney/pubs/cystoscopy/cystoscopy.htm पर जो कहता है, "दिस टेक्स्ट इज नॉट कॉपीराइटेड. द क्लियरिंगहॉउस इन्करेजेस यूज़र्स ऑफ़ दिस ई-पब टू डुप्लीकेट एंड डिस्ट्रिब्युट एज मेनी एज डिज़ायर्ड."

साँचा:Urologic surgical and other procedures