सियाग

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सिहाग अथवा सियाग एक भारतीय उपनाम है। सामान्यतः यह जाट व बिश्नोई जाति का एक गोत्र है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री देवी लाल इस गोत्र के सबसे प्रचलित व्यक्ति हैं।[1] बिश्नोई जाटों मे से बने

सलोजी जाट से विश्नोई संप्रदाय में पाहाल लेकर दीक्षित हुए। क्रम समस्त 1542 में समराथल धोरे पर गुरु महाराज जंभेश्वर भगवान ने विश्नोई संप्रदाय पंथ की स्थापना की सालोजी जाट ये तीन भाई थे। पांचू (नोखा) के निवासी थे। इनके दोनों भाई पांचू में ही जाट सियाग रहे थे। आज पांचू के जाट सियाग जाटों में सबसे निकट रिश्ते के भाई है। सालो जी दीक्षित होने के बाद जेसला गांव में आ गए। जैसला में सलोजी जी की धर्म पत्नी सती हो गई वह बगसेउ (नोखा) की गोदारा गोत्र की थी जो गांयों के बार में सालो जी के शहीद होने पर सती हो गई थी। सालोजी के बेटे साजन जी जो मानेवाडा भंवलो में साजन जी की ससुराल थी। साजन जी की पत्नी रूखमा भंवाल अपने बेटे पांचों जी के गांयो की रक्षार्थ शहीद हो जाने पर जैसला में सती हो गई थी। सास, बहु दोनों के जैसला में सती हो जाने के कारण जैसला छोड़ कर मानेवाडा बस गए, बाद में कुछ समय पश्चात जोधपुर दरबार से अनुमति लेकर साजन जी ने चाडी गांव बसाया। चाडी के सारे सियाग साजन जी के वंशज है। साजन जी के पांच भाई थे जो सलोज जी के पुत्र थे उन्होंने अन्य गांव बसाए, जैसे, चौंडिया, बनिया, बूऊ, आदि गांव बसाए। चाडी से जितने भी सियाग बंधु अन्यत्र बसे हैं वे सभी साजन जी की संताने है।

चाडी से जांबा बसे परिवारों की वंशावली इस प्रकार हैं _

1सलोजी जाट से दीक्षित हुए।

2साजन जी, चाडी बसाया।

3चांदो जी

4मेघों जी

5अमरोजी

6हरिराम जी

7पद्मो जी

8मल्लो जी

(मल्लो जी कम उम्र में सर्प दंश से खत्म हो गए थे, उनके तीन पुत्र थे 1शिंभू जी,

2धीरो जी,

3शायबो जी,।

इन तीन पोतों को पद्मों जी जांबा ले आए। जांबा रूपो जी गिला को पदमों जी की बेटी ब्याही हुए थी, इस प्रकार भुआ अपने नाबालिग भतीजों और वृद्ध बाप पद्मोंं जी को जांबा ला कर बसाया।)

शिभू जी के दो पुत्र थे

1शिव जी 2रामदान जी,

9.धीरो जी के भी दो पुत्र थे

1उन्मो जी,

2बुधर जी (बुधर जी का परिवार हेडवाड़ा जालोर रहता है।

10.उमो जी के तीन पुत्र थे

1भुरो जी,

2मिश्री जी,

3गुणेशो जी,

भुरो जी का परिवार भालनी भीनमाल में और मिश्री जी का परिवार करवाड़ा रानीवाड़ा में रहता है ।

10.गुणेशो जी

गुणेशो जी के तीन पुत्र थे

1रतनोजी

2फुलोजी

3अमलूजी

11.रतनों जी के दो पुत्र थे

1बोगोजी

2मंगलोजी

फुलोजी के छह पुत्र थे 1संवतोजी 2मलूजी 3कुबदोजी 4लखूजी 5जोरजी 6बिरूजी

अमलूजी के एक पुत्र थे रामचंद जी

12.बोगेजी

के छ: पुत्र लालूजी पूंजोजी तुलचोजी धड्जी गडूजी धनजी 13.पूंजोजी

के दो पुत्र बाबूजी भंवरजी

14बाबूजी के दो पुत्र भागीजी राजूजी और यह सब

का परिवार जाम्भोलाव जोधपुर में ही रहते है।

माल्लो जी के बड़े बेटे संभू जी के दोनों बेटों शिव जी और रामदान जी का पूरा कुनबा जांबा में निवास करता है। जबकि मल्लू जी के सबसे छोटे बेटे शायबो जी के वंशज चौधरी वाला हिसार में निवास करते हैं।

जांगलू तथा माणकासर(राजस्थान) मे निवास करते है! सियाग वंशजों में ही आगे चलकर रामधन जी सियाग हुए जो रासीसर जाकर बस गए उनके 4 पुत्र रायचंद देवीलाल हंसराज और रामस्वरूप जी हुए रामस्वरूप जी ने कोलायत शाखा को बसाया और वही जाकर रहने लगे

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. बी॰के॰ चुम. Behind Closed Doors: Politics of Punjab, Haryana and the Emergency (अंग्रेज़ी में). हे हाउस. पृ॰ 125. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9381398623.