साँचा:आज का आलेख १३ दिसंबर २००९
Jump to navigation
Jump to search
डा. पीतांम्बरदत्त बड़थ्वाल ( १३ दिसंबर, १९०१-२४ जुलाई, १९४४) हिंदी में डी.लिट. की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले शोध विद्यार्थी थे। उन्होंने अनुसंधान और खोज परंपरा का प्रवर्तन किया तथा आचार्य रामचंद्र शुक्ल और बाबू श्यामसुंदर दास की परंपरा को आगे बढा़ते हुए हिन्दी आलोचना को मजबूती प्रदान की। उन्होंने भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिये भाषा को अधिक सामर्थ्यवान बनाकर विकासोन्मुख शैली को सामने रखा। अपनी गंभीर अध्ययनशीलता और शोध प्रवृत्ति के कारण उन्होंने हिन्दी मे प्रथम डी. लिट. होने का गौरव प्राप्त किया। हिंन्दी साहित्य के फलक पर शोध प्रवृत्ति की प्रेरणा का प्रकाश बिखेरने वाले बड़थ्वालजी का जन्म तथा मृत्यु दोनो ही उत्तर प्रदेश के गढ़वाल क्षेत्र में लैंस डाउन अंचल के समीप पाली गाँव में हुए। बड़थ्वालजी ने अपनी साहित्यिक छवि के दर्शन बचपन में ही करा दिये थे। बाल्यकाल मे ही वे 'अंबर'नाम से कविताएँ लिखने लगे थे। विस्तार से पढ़ें...