सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी

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सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना गोपाल कृष्ण गोखले ने 1905 में, पुणे महाराष्ट्र में की थी। इसका उद्देश्य विभिन्न जातियों और धर्मों के भारतीय नवयुवकों को एकजुट करना और कल्याण कार्यों में प्रशिक्षित करना था। उनके साथ सुशिक्षित भारतीयों का एक छोटा समूह भी था जिनमें नतेश अप्पाजी द्रविड़, गोपाल कृष्ण देवधर और अनंत पटवर्धन शामिल थे जो सामाजिक और मानवीय विकास को बढ़ावा देना चाहते थे और भारत में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना चाहते थे।

यह देश का पहला धर्मनिरपेक्ष संगठन था जिसने खुद को वंचितों, ग्रामीण और आदिवासी लोगों, आपातकालीन राहत कार्यों, साक्षरता में वृद्धि और अन्य सामाजिक कारणों के लिए समर्पित किया। इस सोसायटी के सदस्य आजीवन देश की सेवा करने का वचन लेते थे। सोसाइटी उनके परिवार के भरण पोषण के लिए सौ रुपए प्रतिमाह राशि देती थी।

1915 में गोखले के बाद श्रीनिवास शास्त्री (1869-1946) इसके अध्यक्ष बने । संगठन का मुख्यालय पुणे में है और शाखाएँ चेन्नई (मद्रास), मुंबई (बॉम्बे), इलाहाबाद , नागपुर और अन्य स्थानों में हैं। यद्यपि समय के साथ सदस्यों की संख्या कम हो गई है, समाज सेवा के आदर्शों के प्रदर्शन में यह सोसायटी प्रभावशाली रहा है।