सर्वसिद्धान्तसङ्ग्रह

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सर्वदर्शनसिद्धान्तसङ्ग्रह, या केवल सर्वसिद्धान्तसङ्ग्रह आदि शंकराचार्य द्वारा ७वीं शताब्दी ईस्वी में रचित एक दर्शन ग्रन्थ है जो भारतीय उपमहाद्वीप में उस समय प्रचलित भारतीय दर्शन के ग्यारह प्रमुख सम्प्रदायों के दर्शनों का परिचय करता है। [1]

अध्याय[संपादित करें]

इस ग्रन्थ में ग्यारह सम्प्रदायों के दर्शनों का समावेश किया गया है जो निम्नलिखित हैं-

अवैदिक सम्प्रदाय[संपादित करें]

  1. लोकायत (या चार्वाक दर्शन)
  2. अर्हत दर्शन (या जैन धर्म )
  3. बौद्ध धर्म
    1. माध्यमक
    2. योगाचार
    3. सौत्रान्तिक
    4. वैभाषिक

वैदिक सम्प्रदाय[संपादित करें]

  1. वैशेषिक
  2. नैयायिक
  3. प्रभाकर का सिद्धान्त
  4. भट्टाचार्य का सिद्धान्त
  5. सांख्य
  6. पतञ्जलि दर्शन
  7. वेद-व्यास का दर्शन
  8. वेदान्त

संदर्भ[संपादित करें]

  1. The Sarva-siddhanta-sangraha.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]