सर्रा रोग

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सर्रा रोग (Surra) मेरुडण्ड वाले प्राणियों को लगने वाला रोग है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो पशु मर सकता है। यह रोग ट्राईपैनसो-इवेनसाई (Trypanosoma evansi) नामक परजीवी के कारण होता है। यह प्रोटोजोवा पशु के रक्त में प्रवेश कर जाता है जिससे ज्वर, कमजोरी, सुस्ती, वजन कम होना और खून की कमी हो जाती है। कुछ पशु चक्कर काटने लगते हैं। इस बीमारी के चलते पशुओं में तेज बुखार, थरथराहट, आंख से दिखना बंद हो जाता है। पशु दांत किटकिटाता है और कुछ पशुओं का पुरा दांत भी हिलने लगता हैं। जल्दी जल्दी पेशाब करता है। पेट फूल जाता है और गिर कर मर जाता है। नर पशुओं के अण्डकोष में सूजन आ जाती है। मादा पशुओ में गर्भपात की समस्या आती है। यह रोग मुख्यतः ऊंट या ऊँटनी में देखा जाता है। ऊंट का कूबड़ धीरे धीरे नष्ट होने लगता है। खून चुसने वाली मच्छरों तथा मक्खियों (गोभक्षी) और पशुओं के आस-पास कि गंदगी और इसमें रहने वाले किटो के द्वारा फैलता है।

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