सरेंधी गाँव, खैरागढ़ (आगरा)
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सरैंधी गांव बड़ा प्राचीन गांव है.राजस्थान राज्य की सरहद बसने की वजह से इस गांव का नाम सरैंधी रखा गया.. सरैंधी आगरा जनपद एवं जगनेर ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव है. यहाँ
सरेंधी | |||
— गाँव — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | ![]() | ||
राज्य | उत्तर प्रदेश | ||
ज़िला | आगरा | ||
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिन्दी, अवधी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, पहाड़ी, उर्दु, अंग्रेज़ी | ||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: http://agra.nic.in |
निर्देशांक: 27°11′N 78°01′E / 27.18°N 78.02°E
सिद्ध बाबा से लेकर बाबरे बाबा ने तपस्या की थी और आज भी गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति पहाड़ी पर सिद्ध बाबा का प्राचीन मंदिर एवं गुफा है. जहाँ हर महीने की पूर्णिंमा को मेला लगता है. जहाँ लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है. और मनोकामना के लिये मन्नत माँगते है. सरेंधी खैरागढ़, आगरा, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है।
भूगोल[संपादित करें]
जनसांख्यिकी[संपादित करें]
सरैंधी में कुल आबादी लगभग 21000 की है। यहाँ कुल मतदाता लगभग 8200 के आसपास है।
यातायात[संपादित करें]
सरैंधी में यातायात के लिये बस की सुबिधा है। सरैंधी में राष्ट्रीय राजमार्ग है जो भरतपुर से धौलपुर को जोड़ता है। एवं दूसरा राज्य मार्ग आगरा से तांतपुर को जोड़ता है। यहाँ से आगरा 40 किलोमीटर है एवं धौलपुर भी 40 किलोमीटर है एवं भरतपुर 50 किलोमीटर है।
आदर्श स्थल[संपादित करें]
सरैंधी में सबसे आदर्श स्थल सिध्द बाबा एवं बाबरे का पहाड़ी पर सुंदर मंदिर है। यहाँ हर महीने पूर्णमासी को मेला भी लगता है जहाँ लाखो की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं। सरैंधी आस्था एवं विश्वास का गांव है। यही गाँव के बीचों-बीच में अचलम बाबा का मंदिर है। जहाँ हर साल होली के टाइम बड़ा त्यौहार लगता है। जिसे लाखो की संख्या में बाहर के लोग भी देखने आते है. यही पर बाबा बासदेव जी का आश्रम है। जो एक सामजसेवी थे। सरैंधी से तीन किलोमीटर दूर पत्थर के पहाड़ है जो गांव को अधिक सुन्दर बनाते है।
शिक्षा[संपादित करें]
सरैंधी शिक्षा की दिशा में बढ़ने वाला गांव है.पर आज भी यहाँ 65% लोग शिक्षित है। गाँव में श्री नबाब सिंह उचस्तर माध्यमिक विद्यालय है एवं जे पी पब्लिक स्कूल एवं आई टी आई कॉलेज भी है। यहाँ मातृभूमि विद्यालय भी है।
आकलन[संपादित करें]
सरैंधी गांव बड़ा ही प्यारा गांव है। यहाँ के लोग दिल से जुड़ते है किसी से. यहाँ ज्यादातर सभी जातियों और धर्मो के लोग बडे मेल जोल के साथ रहते है। सरैंधी के बारे में बताया जाता है कि धारा प्रदेश ( M. P. ) से आये बाबा लाखन सिंह ने इस गांव को बसाया था। यहाँ ज्यातर क्षत्रिय परमार रहते है और इसे पमार पार्टी का गांव भी बोला जाता है। परमार के आलावा भी यहाँ अन्य क्षत्रिय जातियों के लोग भी है जैसे तोमर सिकरवार, चौहान। यहाँ क्षत्रियों के बाद दूसरे स्थान पर पंडितो के घर हैं। यहाँ दलित एवं पिछड़े वर्ग के भी लोग बहुतायत मात्रा में है। यहाँ मुसलमानों के भी घर हैं। ये गांव आस्था एवं विश्वास का गांव है। सरैंधी में बाबा बासदेव सिंह जी का बड़ा नाम रहा है। बाबा बासदेव जी एक सामजसेवी थे उन्होंने गांव के सुधार के लिये काफी प्रयास किया और सरैंधी को राजनीति के क्षेत्र में पहचान दिलाई। बाबा बासदेव जी के तीन बेटे हैं। और पाँच नाती हैं जिनमे से रवि परमार भी बाबा जी के नक़्शे कदम पर चलने वाला इंसान है। रवि परमार ने समाजसेवा के क्षेत्र में सरैंधी का नाम बढ़ाया है। यहाँ पर पातीराम बाबा का बड़ा नाम है जो यहाँ के लोकगीत जिकड़ी भजन गायन के जनक भी माने जाते हैं। और उन्होंने अपने भजनों के माध्यम से सरैंधी का देश भर में नाम रौशन किया है।
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
{{खैरागढ़ प्रखण्ड (आगरा) के गाँव}सरैंधी जगनेर थाने में बसा बड़ा गांव है }