सरिय्या कुतबा बिन आमिर

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सरिय्या हज़रत कुत्बा् बिन आमिर रज़ि०
मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग
तिथि अगस्त 630 AD, 9AH, इस्लामिक कैलेंडर का दूसरा महीना[1][2][3]
स्थान ख़सअम region
परिणाम
  • युद्ध लूट के रूप में ऊँट, बकरे बंदी बनाए गए। कुछ महिलाओं को बंदी बना लिया गया[4][5][6]
सेनानायक
हज़रत कुत्बा् बिन आमिर रज़ि० अनजान
शक्ति/क्षमता
20 अनजान

सरिय्या हज़रत कुत्बा् बिन आमिर रज़ि० का सैन्य अभियान मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आदेश पर ख़सअम जनजाति के खिलाफ, अगस्त 630 ईस्वी, इस्लामी कैलेंडर के 9 हिजरी दूसरे महीने में हुआ।

अभियान[संपादित करें]

अर्रहीकुल मख़तूम में इस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी लिखते हैं कि यह सरिय्या तुरबा के क़रीब तिबाला के इलाके में क़बीला ख़सअम की एक शाखा की ओर रवाना हुआ। कुत्बा बीस आदमियों के साथ रवाना हुए। दस ऊंट थे जिन पर ये लोग बारी-बारी सवार होते थे। मुसलमानों ने रात को छापा मारा, जिस पर ज़बरदस्त लड़ाई भड़क उठी और दोनों फ़रीक के अच्छे भले लोग घायल हुए। कुत्बा कुछ दूसरे लोगों के साथ शहीद (इस्लाम) गए, फिर भी मुसलमान भेड़-बकरियों और बाल-बच्चों को मदीना ले लाए। [7]

मुस्लिम सूत्रों के अनुसार, निवासियों ने फिर से संगठित होकर मुसलमानों का पीछा किया, लेकिन इलाके में बाढ़ के कारण मुसलमान भागने में सफल रहे।[8]

प्राथमिक स्रोत[संपादित करें]

इस घटना का उल्लेख मुस्लिम विद्वान इब्न साद ने अपनी पुस्तक "किताब अल-तबाक़त अल-कबीर" में इस प्रकार किया है:

कुतुबह इब्न 'अमीर इब्न हद्दाह का सरियाह खाथम के खिलाफ तुरबाह के पास, बलशाह के क्षेत्र में ।

तब (घटित) खथम के खिलाफ कुतबाह इब्न अमीर इब्न हदीदा की सरिय्याह। बिसाह के क्षेत्र में। तुरबा के पास, अल्लाह के रसूल के हिज्र से नौवें वर्ष के सफर में, अल्लाह उसे आशीर्वाद दे सकता है।

उन्होंने (कथावाचक) कहा: अल्लाह के रसूल, अल्लाह उसे आशीर्वाद दे सकते हैं, कुतबाह इब्न 'अमीर इब्न हदीदाह को तबलाह के क्षेत्र में खतम के गोत्र के खिलाफ बीस आदमियों के सिर पर भेजा । उसने उन्हें एक आश्चर्यजनक हमला करने का आदेश दिया। वे बारी-बारी से दस ऊँटों पर सवार होकर निकल पड़े। उन्होंने एक आदमी को पकड़ लिया और उससे हासिल कर लिया। उसने गूंगा होने का नाटक किया, लेकिन जल्द ही उसने जनजाति को चेतावनी देने के लिए चिल्लाया। उन्होंने उसकी गर्दन पर वार किया। तब वे उस गोत्र के पुरूषोंके सो जाने की बाट जोहते रहे, और तब उन्होंने उन पर अचानक चढ़ाई की। उन्होंने एक भयंकर लड़ाई लड़ी, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हो गए। कुतबाह इब्न 'आमिर ने जिसे वह मार सकता था उसे मार डाला। उन्होंने अल-मदीना में ऊंटों, बकरियों और महिलाओं को खदेड़ दिया। बाढ़ आई और उन्हें उससे अलग कर दिया, लेकिन वे कोई रास्ता नहीं खोज सके।

खुम्स के अलग होने के बाद उनके हिस्से में चार ऊँट शामिल थे और एक ऊँट को दस बकरियों के बराबर माना जाता था। एक सौ पचास ऊँट और तीन हज़ार बकरियाँ थीं। [9]

सराया और ग़ज़वात[संपादित करें]

इस्लामी शब्दावली में अरबी शब्द ग़ज़वा [10] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[11] [12]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Abū Khalīl, Shawqī (2003). Atlas of the Quran. Dar-us-Salam. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9960-897-54-7.
  2. Rahman al-Mubarakpuri, Saifur (2005), The Sealed Nectar, Darussalam Publications, पृ॰ 269
  3. Hawarey, Mosab (2010). The Journey of Prophecy; Days of Peace and War (Arabic). Islamic Book Trust. मूल से 22 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2023.Note: Book contains a list of battles of Muhammad in Arabic, English translation available here
  4. Rahman al-Mubarakpuri, Saifur (2005), The Sealed Nectar, Darussalam Publications, पृ॰ 269
  5. The Sealed Nectar, Text Version, Witness-Pioneer.com
  6. "WebCite query result". मूल से August 18, 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  7. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या कुत्बा बिन आमिर (सफर सन् 09 हि०)". पृ॰ 868. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
  8. "WebCite query result". मूल से August 18, 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  9. किताब अल-तबाक़त अल-कबीर, इब्न साद द्वारा, खंड 2, पृष्ठ 200-201
  10. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  11. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  12. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]