सामग्री पर जाएँ

सरिय्या अली इब्न अबी तालिब (फ़िदक)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
सरिय्या हज़रत अली इब्न अबी तालिब रज़ि०
मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग
तिथि दिसंबर, 627AD, 6AH, 8th महीना, 6AH
स्थान फदक
परिणाम
  • बनू बक्र जनजाति के सदस्य भाग गए
  • मुसलमान माले ग़नीमत के रूप में 500 ऊंट और 2000 बकरियों को पकड़ते हैं [1][2]
सेनानायक
अली इब्न अबी तालिब वुबर बिन अलीम
शक्ति/क्षमता
200 अनजान
मृत्यु एवं हानि
अनजान 1 कब्जा कर लिया[3]

सरिय्या हज़रत अली इब्न अबी तालिब रज़ि० या फ़िदक का अभियान (अंग्रेज़ी: Expedition of Ali ibn Abi Talib (Fadak) इस्लामी सैन्य अभियान था, दिसंबर, 627AD, 6AH, इस्लामिक कैलेंडर के 8वें महीने में हुआ इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद के आदेश पर साथी अली इब्न अबी तालिब को दो सौ (सहाबा) देकर एक प्लाटून के कमांडर के रूप में फदक नामक स्थान पर बनी साद बिन बकर जनजाति के ठिकाने की ओर भेजा गया था। मुहम्मद को कुछ खुफिया जानकारी मिली थी कि बनू बकर ने खैबर के यहूदियों का समर्थन करने के लिए रैंकों को इकट्ठा किया था।

अभियान (फदक)

[संपादित करें]

इस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी के अनुसार यह सरिय्या शअबान 06 हिजरी में हजरत अली रजि० के नेतृत्व में भेजी गयी। इस की वजह यह हुई 'के अल्लाह क रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मालूम हुआ कि बनू साद की एक-टुकड़ी यहूदियों को कुमुक (मदद) पहुंचाना चाहती है, इसलिए आप ने हजरत अली रजि० को दो सौ आदमी देकर रवाना फरमाया। ये लोग रात में सफर करते और दिन में छिपे रहते थे। आख़िर एक जासूस पकड़ में आया और उस ने माना कि उन लोगों ने ख़ैबर को खजूरों के बदले सहायता जुटाने की पेशकश की है। जासूस ने यह भी बतलाया कि बनू साद मे किस जगह जत्थाबंदी की है। चुनांचे हज़रत अली रजि० ने उन फ छापा मार कर पांच सौ ऊंट और दो हजार बकरियों पर कब्जा कः लिया। अलबत्ता बनू साद अपनी औरतों और बच्चों समेत भाग निकले उन का सरदार वुबर बिन अलीम था। [4]

सराया और ग़ज़वात

[संपादित करें]

अरबी शब्द ग़ज़वा [5] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[6] [7]

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. Mubarakpuri, Saifur Rahman Al (2005), The sealed nectar: biography of the Noble Prophet, Darussalam Publications, p. 395, ISBN 978-9960-89955-8 (online)
  2. Mufti M. Mukarram Ahmed (205). Encyclopaedia of Islam. Anmol Publications. pp. 228–229. ISBN 81-261-2339-7. {{cite book}}: ISBN / Date incompatibility (help)
  3. Sa'd, Ibn (1967). Kitab al-tabaqat al-kabir,By Ibn Sa'd,Volume 2. Pakistan Historical Society. p. 110. ASIN B0007JAWMK. SARIYYAH OF 'ALI IBN ABl TALIB AGAINST BANU SA'D IBN BAKR AT FADAK
  4. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या दयारे बनी साद, इलाका फ़िदक". pp. ६७४. Retrieved 13 दिसम्बर 2022. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |1= (help)
  5. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  6. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  7. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]
  • अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)