सरदारी आंदोलन
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सरदारी आंदोलन छोटानागपुर की भूमिज आदिवासियों का शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन था, जिसका नेतृत्व गांव की मुखिया, जिसे "सरदार" कहा जाता था ने किया था। इस आंदोलन को मूल की लड़ाई भी कहा जाता है। यह आंदोलन 1858 से 1895 तक चला था।
आंदोलन में विफलता से नाराज़ आदिवासियों, 1900 में बिरसा मुंडा के हिंसक विद्रोह में शामिल हो गए। यह आंदोलन बिरसा मुंडा के "उलगुलान" का नींव बना।
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