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एक पौराणिक ग्राम है।कहा जाता है कि यह द्वापर युग में प्रतापी राजा सुरत के राज्य की राजधानी हुआ करता था,जिसे सूर थल के नाम से जाना जाता था।राजा सूरत हस्तिनापुर के राजा युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ने के कारण अर्जुन से युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए।कालांतर में सुरथल सरथल के नाम से जाना गया।[उद्धरण चाहिए]